लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने यूपी के सत्ताधारी दल समाजवादी पार्टी में मची हलचल का हवाला देते हुए एक ओर सपा पर निशाना साधा है तो वहीं दूसरी ओर मायावती ने भारत निर्वाचन आयोग को भी सलाह दी है।
मायावती ने कहा है यदि आयोग ने जनवरी-फरवरी में विधानसभा चुनाव कराने के लिए तिथियों की घोषणा कर दी तो राज्य को काफी बड़ी अशांति व अव्यवस्था के खतरे से बचाया जा सकता है। माया ने केंद्र की भाजपा सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि भाजपा को पहले ही उत्तर प्रदेश के हालात को देखते हुए यहां राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए था, लेकिन वह भी हिम्मत नहीं जुटा पाई।
बसपा मुखिया ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय से जारी अपने बयान में कहा कि सत्ताधारी सपा के प्रथम परिवार के कुनबे में पारिवारिक लड़ाई के खुलकर सड़क पर आने से उत्तर प्रदेश की शासन-प्रशासन व्यवस्था पर इसका और भी ज्यादा व्यापक बुरा असर पड़ेगा, जो अति-दुर्भाग्यपूर्ण है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इसका और भी बुरा खामियाजा राज्य की 22 करोड़ जनता को झेलना पड़ सकता है। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में पहले से ही हर तरफ जंगलराज का माहौल कायम है और अब सपा प्रमुख के परिवार में ही भीषण अंतरकलह से स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ने लगी है। इस पारिवारिक कलह का पहला शिकार वरिष्ठ अधिकारी बन रहे हैं और समस्त शासन-प्रशासन पर इसका भारी बुरा प्रभाव स्पष्ट तौर पर दिखने लगा है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि ऐसे में केंद्रीय निर्वाचन आयोग को संविधान के प्रावधानों के अंर्तगत विधानसभा चुनाव की तिथि जल्द-से-जल्द घोषित करने की तैयारी पूरी कर लेनी चाहिए। यही उत्तर प्रदेश को घोर अव्यवस्था से बचाने का एक मात्र उपाय है।
इसके साथ ही माया ने केंद्र पर तीखी प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि वैसे तो केंद्र की भाजपा सरकार को राज्य में राष्ट्रपति शासन की तैयारी काफी पहले ही कर लेनी चाहिए थी, लेकिन उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की नाजुक स्थिति के मद्देनजर भाजपा की सरकार ऐसी हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। आगे कहा कि भाजपा को लगता है कि उत्तर प्रदेश में जितना संभव हो सके विधानसभा चुनाव टाला जाए और यही सपा भी चाहती है।