बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान किया है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सीटों के बंटवारे की घोषणा की। मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ साल 1993 में विधानसभा चुनावों में कांशीराम और मुलायाम सिंह के गठबंधन में चुनाव लड़ा गया और सरकार बनाई गई थी।
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मायावती ने कहा कि बीजेपी की जहरीली, सांप्रदायिक और जातिवादी राजनीतिक से प्रदेश को बचाने के उद्देश्य से ऐसा किया गया था। देश में दोबारा ऐसे हालातों स निपटने के लिए बसपा ने एक बार फिर ऐसा करने की आवश्यकता महसूस की है।
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मायावती ने कहा कि बसपा ने आगामी लोकसभा चुनावों में एक बार फिर समाजवादी पार्टी के साथ इस गठबंधन को करने का निर्णय किया है। वर्ष 2019 में हुए इस गठबंधन को एक प्रकार से नई राजनीतिक क्रांति का समय माना जाएगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का कई बार जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने 1995 के लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से देश को ऊपर रखते हुए गठबंधन का फैसला लिया है।
मायावती ने कहा कि 4 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में हमने प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर गठबंधन में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इसकी भनक बीजेपी को लग गई। इसी वजह से हमारे सहयोगी अखिलेश यादव की छवि धूमिल करने के लिए जबरन उनका नाम खनन घोटाले में शामिल किया गया है।
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आपको बता दें कि 1993 का विधानसभा चुनाव सपा और बसपा ने साथ मिलकर लड़ा था। इस गठबंधन ने 4 दिसंबर 1993 को सत्ता की कमान संभाली, लेकिन 2 जून, 1995 को बसपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इस तरह दोनों का गठबंधन टूट गया। बसपा के समर्थन वापसी से मुलायम सिंह की सरकार गिर गई। 3 जून, 1995 को मायावती ने बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता की कमान संभाली। 2 जून 1995 को उन्मादी भीड़ ने सबक सिखाने के नाम पर बसपा सुप्रीमो पर हमला किया। जिसको लखनऊ गैस्ट हाऊस कांड के नाम से जाना जाता है।