मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस को मिली जीत के बाद पार्टी में उत्साह दिखाई दे रहा है। तीन राज्यों के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस समारोह में नदारद रहे।
गौरतलब है कि कांग्रेस शपथ ग्रहण के बहाने सत्ताधारी बीजेपी को ‘विपक्षी एकता’ संदेश देना चाहती थी और बीजेपी विरोधी दलों को एक जुट कर अपनी ताकत दिखाना चाहती थी। लेकिन उक्त तीन बड़े नेताओं का कांग्रेस के समारोह न पहुंचने पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं।
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गौरतलब है कि कांग्रेस ने तीन राज्यों में शपथ ग्रहण कार्यक्रम का 25 पार्टियों को न्योता दिया था। राहुल ने विपक्षी एकता को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी। हालांकि सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल के साथ पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, एलजेडी नेता शरद यादव, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला दिखे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौडा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, जेएमएम अध्यक्ष हेमंत सोरेन भी कार्यक्रम में पहुंचे। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी कांग्रेस के इस समारोह में शामिल नहीं हुए। यदि विपक्ष के समीकरण पर थोड़ा पीछे के समय में देखें तो कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष दलों ने एकजुटता में अब के तीनों राज्यों से ज्यादा विपक्षी नेता पहुंचे थे।
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आपको बता दें कि कांग्रेस हाल ही में जीते तीनें राज्यों में प्रदर्शन के जरिए विपक्षी एकता का नजारा एक बार दुबारा विरोधी भाजपा को दिखाना चाहती थी। ऐसा कर पाने में पार्टी पूरी तरह पास नहीं हुई। राजनीतिक पंडितों के मुताबिक तीनों दल कांग्रेस के नेतृत्व में नहीं चलना चाहते है। कहा जा रहा है कि इन तीनों ने अपने आपको दूर रखा है। जानकारों के मुताबिक यह भी कहा मायने निकाले जा रहे हैं कि पूरा विपक्ष राहुल को महागठबंधन का नेता नहीं स्वीकार कर रहा है।