लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आठ महीने से भी कम का समय बचा है। प्रदेश में सियासदानों ने अपनी बिसाते बिछानी शुरू कर दी है। दलों में अदला-बदली का खेल शुरू हो गया है। हाल ही में बहुजन समाज पार्टी के बागी विधायकों ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की, जिसे लेकर अब बसपा सुप्रीमों ने हमला बोला है।
2. जबकि उन्हें काफी पहले ही सपा व एक उद्योगपति से मिलीभगत के कारण राज्यसभा के चुनाव में एक दलित के बेटे को हराने के आराप में बीएसपी से निलम्बित किया जा चुका है। 2/5
— Mayawati (@Mayawati) June 16, 2021
मीडिया में प्रचारित हो रही खबर को नकारते हुए उन्होंने कहा बीएसपी विधायकों का टूटकर सपा में जाना, ये सब छलावा है। सपा मीडिया के सामने छलावा कर रही है।\
3. सपा अगर इन निलम्बित विधायकों के प्रति थोड़ी भी ईमानदार होती तो अब तक इन्हें अधर में नहीं रखती। क्योंकि इनको यह मालूम है कि बीएसपी के यदि इन विधायकों को लिया तो सपा में बगावत व फूट पड़ेगी, जो बीएसपी में आने को आतुर बैठे हैं।
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उन्होंने ट्वीट कर बताया कि राज्यसभा चुनाव के दौरान दलित के बेटे को हराने के आरोप में उन विधायकों को निलंबित किया गया था।
4. जगजाहिर तौर पर सपा का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा ही दलित-विरोधी रहा है, जिसमें थोड़ा भी सुधार के लिए वह कतई तैयार नहीं। इसी कारण सपा सरकार में बीएसपी सरकार के जनहित के कामों को बन्द किया व खासकर भदोई को नया संत रविदास नगर जिला बनाने को भी बदल डाला, जो अति-निन्दनीय।
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सपा पर हमलावर होते हुए एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि सपा शुरू से ही दलित विरोधी रही है।
5.वैसे बीएसपी के निलम्बित विधायकों से मिलने आदि का मीडिया में प्रचारित करने के लिए कल किया गया सपा का यह नया नाटक यूपी में पंचायत चुनाव के बाद अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख के चुनाव के लिए की गई पैंतरेबाजी ज्यादा लगती है।यूपी में बीएसपी जन आकांक्षाओं की पार्टी बनकर उभरी है जो जारी रहेगा
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मायावती ने कहा कि कुछ विधायक सपा में भी तैयार हैं जो बसपा में आना चाहते हैं।