लखनऊ। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सुगबुगाहट अभी से तेज हो गई है। मिशन 2019 के लिए सत्तपक्ष से लेकर विपक्ष ने अपनी कमर कस ली है। इसी की तर्ज पर अपना लगभग जनाधार खो चुकी बीएसपी ने आज एक बड़ा ऐलान कर सकती है। दरअसल उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर की हार के बाद पार्टी सुप्रीमों मयावती ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई है, जोकि लखनऊ में शुरू हो चुकी है। इस बैठक को लेकर ये कयास लगाए जा रहे हैं कि मायावती बीएसपी कॉआर्डिनेटरों से सपा-बसपा गठबंधन को लेकर फॉर्मुले पर विचार कर सकती है।
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए एक साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है। इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि सपा-बसपा का गठबंधन स्वार्थपूर्ण नहीं बल्कि बीजेपी को रोकने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि साढ़े चार साल की सरकार के दौरान बीजेपी ने सिर्फ ड्रामा किया है, खासकर दलितों को लेकर। मोदीजी ने मन की बात में बीआर अंबेडकर के लिए बोला था, लेकिन उनकी मानसिकता बाबा साहेब के बिल्कुल विपरीत है जिसके खिलाफ वो खड़े हुए थे। यहीं कारण है कि बीजेपी-आरएसएस पिछले कई दशकों तक सत्ता के सुख से दूर रही थी।
मायावती ने कहा कि वे लोग अंबेडकर का नाम तो जपते हैं,लेकिन उस कैटिगरी से जो आते हैं उन पर अत्याचार करते हैं। उन्होंने कहा कि बसपा-सपा का गठबंधन स्वार्थपूर्ण नहीं है बल्कि ये बीजेपी के कुशासन के खिलाफ है। बसपा प्रमुख ने कहा कि हम दोनों मिलकर बीजेपी को सत्ता में आने से रोकेंगे और मेरे लोग उनके भड़काने से नहीं भड़केंगे। माया ने कहा कि बीजेपी सपा-बसपा की साझेदारी को लेकर अनर्गल बयानबाजी करते हैं, लेकिन हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। बता दें कि इस बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के पार्टी प्रभारी भी मौजूद रहेंगे।
बीएसपी के एक बडे नेता की मानें तो इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़े तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। हाल में ही एमपी का चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस ने जीत लिया था। कांग्रेस के आग्रह पर बीएसपी चुनाव नहीं लड़ी थी। एमपी में बीएसपी के अब भी चार एमएलए हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में इसी साल के आखिरी में वोट डाले जाएंगे।राज्यसभा चुनाव में हार के बाद मायावती ने शनिवार को कहा था कि चुनाव परिणाम का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी को इसका परिणाम भुगतना होगा।