चंडीगढ़। बीएसपी सुप्रीमों मायावती ने पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी चंडीगढ़ में गोरखपुर और फूलपुर चुनाव में बीजेपी की हार को लेकर कहा कि जब दलित,पिछड़ा वर्ग, गरीब, मुसलमान और अन्य सभी वर्गों को शोषित लोगों को एक मंच पर आना होगा और बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना होगा। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय से पहले होने की संभावना जताई इसलिए अब जरूरी है कि बीजेपी को सत्ता में आने से रोका जाए और सभी वर्ग एकजूट हो जाएं। मायावती ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों का आगाज हो चुका है। दरअसल आज बसपा के जनक कांशीराम का जन्मदिवस है, जिसे लेकर चंडीगढ़ में एक रैली का आयोजन किया गया था।
इसी रैली में मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2 सीटों पर उपचुनाव में हुई विपक्ष की जीत पूरे देश को ये संदेश देती है कि आप लोग क्या चाहते हैं, इसलिए बीजेपी अब इस जीत से डरकर लोकसभा चुनाव समय से पहले करा सकती है। उन्होंने कहा कि यूपी में योगी सरकार बसपा सरकार के कार्यकाल की नकल कर रही है, लेकिन फिर भी लोगों ने उनका भला नहीं किया। उन्होने कहा कि भारतीय जनता पार्टी गरीब व दलित विरोधी है। इस सरकार के शासनकाल में गरीब घुट-घुट कर जी रहा है। कानून व्यवस्था की स्थिति चौपट हो चुकी है और दलितों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है।
मायावती ने कहा कि वर्तमान में गरीबों, दलितों, आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं। भाजपा की गलत नीतियों व गलत कार्यशैली के कारण यह वर्ग परेशान है। बसपा ने एेसे लोगों को जुल्मों से निजात दिलाने के लिए हर स्तर पर इन्हें संगठित करने का फैसला लिया है। इसके लिए वह यहां आई हैं। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जब 1995 में उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार बनी थी तो उन्होंने सभी वर्गों के हितों की रक्षा की। खासकर कमजोर व उपेक्षित वर्गों का विशेष ध्यान रखा।मायावती ने कहा कि उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में सभी वर्गों के कल्याण के लिए अलग-अलग विभाग बनाए। बसपा की सरकार ने मोदी सरकार की तरह रोजगार देने के हवाई वादे नहीं किए, बल्कि ठोस काम किया। ।
मायावती ने कहा कि जब से केंद्र और देश के कई राज्यों में बीजेपी सरकार बनी है, तभी से आरएसएस के एजेंडे को लागू करने की कोशिश की जा रही है। दलित, गरीब तबकों व अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। राज्यसभा में जब उन्होंने बात रखने की कोशिश की तो उन्हें बोलने नहीं दिया गया। इस कारण उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। मायावती ने कहा कि वर्तमान सरकार में वह संसद में ही दलितों की बात नहीं रख सकती, इसी से दुखी होकर उन्होंने राज्यसभा छोड़ी। मायावती कांग्रेस पर भी बरसी। कहा कि कांग्रेस ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं किया था। बाद में बसपा के दबाव में वीपी सिंह सरकार ने इसे लागू किया था। बाबा भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न भी वीपी सिंह सरकार में ही दिया गया।