नई दिल्ली। यूपी में लोकसभा चुनावों में महागठबंधन बनाने वाली मायावती और अखिलेश पर सरकारी नजरें टेढ़ी होने के संकेत मिले हैं। बताया जा रहा है कि दर्जनों जगहों पर छापेमारी करने वाली सीबीआई अब सीधे कार्रवाई करने के मूड में है।
CBI की जांच में सरकारी संपत्तियों की बिक्री में बसपा सुप्रीमो मायावती के पूर्व सचिव नेतराम फंसे हैं, जबकि कई करोड़ के रेत खनन घोटाले का तार समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सहयोगी गायत्री प्रजापति और छह नौकरशाहों से जुड़ा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो भ्रष्टाचार के दो नए मामलों की जांच कर रही है, जो इन नेताओं के सरकार के समय हुए हैं। प्रदेश में 1,100 करोड़ रुपये के चीनी मिल घोटाले में नौकरशाहों और राजनेताओं की सांठगांठ की पोल खुल रही है।
सूत्रों ने बताया कि गायत्री प्रजापति को कैबिनेट मंत्री नियुक्त किए जाने से पहले मार्च, 2012 से लेकर जुलाई, 2013 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास खनन मंत्रालय था। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री प्रजापति और तीन आईएएस अधिकारियों के विभिन्न परिसरों की बुधवार को तलाशी के बाद सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि एजेंसी अखिलेश यादव से उनके कार्यकाल (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) में हुए रेत खनन घोटाले के सिलसिले में पूछताछ कर सकती है।
मायावती भी संकट में फंसती नजर आ रही हैं, क्योंकि चीनी मिल घोटाले में उनके सबसे भरोसेमंद नौकरशाह नेतराम के परिसरों की सीबीआई ने तलाशी ली है। सीबीआई अभी घोटाले के संबंध और साक्ष्य जुटा रही है और आगे मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका तय करने के लिए तीनों आईएएस अधिकारियों से पूछताछ करेगी। सूत्रों ने बताया कि मायावती का भविष्य अब 21 चीनी मिलों के विनिवेश को मंजूरी देने के संबंध में नेतराम के बयानों से होने वाले खुलासे से तय होगा। सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, वर्ष 2010-11 के दौरान चीनी मिलों को औने-पौने कीमतों पर बेचा गया। मायावती वर्ष 2007 से लेकर 2012 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं।