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मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में आठ अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में आठ अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

मथुरा: अयोध्‍या में श्रीराम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मामला चर्चा में है। अदालत में दाखिल केस की अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर मंदिर के सेवायत ने केस दर्ज कराया था, इसके बाद से मामले को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है।

हिंदू महासभा बनना चाहती है वाद का हिस्सा

शहर के पुराने केशवदेव मंदिर के सेवायत ने इस मामले में वाद दाखिल किया था। मामले की जानकारी देते हुए अधिवक्ता उमा शंकर भारद्वाज ने बताया कि इस केस में हिंदू महासभा भी शामिल होना चाहती है। हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने सीपीसी आदेश एक नियम 10 के तहत इस वाद में पार्टी बनने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था।

उन्होंने बताया कि कोर्ट की कार्यवाही में इस प्रार्थना पत्र की प्रतिलिपि दिलाने के लिए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया था, जिसे मंजूर करते हुए कोर्ट ने उन्हें दिनेश चंद्र शर्मा के प्रार्थनापत्र की कॉपी दिला दी है। उन्होंने कहा कि इसकी लीगल वैलिडिटी पर वो अध्ययन करेंगे, जिस पर आठ अप्रैल को इस प्रार्थनापत्र की वैधानिकता पर बहस होगी तभी ये निर्णय होगा कि हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष इसमें पार्टी बन सकते हैं या नहीं।

कोर्ट में दो फरवरी को पेश हुआ था दावा

बता दें कि मंदिर के सेवायत ने जिम्मेदारी समझते हुए मंदिर के पक्ष में दो फरवरी को दावा कोर्ट में पेश किया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। गौरतलब है कि अब तक जो वाद दाखिल किए गए हैं, वो श्रीकृष्ण के भक्तों या खुद को गोपी या कृष्ण का वंशज होने का दावा करने वालों ने ही पेश किए हैं, लेकिन ये दावा कई मायनों में निराला है।

कोर्ट मस्जिद को हटाने का दे आदेश

इस जमीन का दावा पवन कुमार शास्त्री ने पेश किया, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे केशव देव मंदिर का पुजारी होने का दावा करते हैं। वहीं, अन्य दावों से अलग इस दावे में कोर्ट में कहा गया है कि वो एक लिमिटेड टाइम देकर शाही मस्जिद ईदगाह और यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड से केशवदेव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि से मस्जिद को हटाने का आदेश दे और अगर उस समय सीमा में मस्जिद नहीं हटाई जाती तो कोर्ट खुद उसको हटवाए।

विवाद में दो पक्ष आए आमने-सामने

फिलहाल, इस मामले में काफी गर्मी आ गई है क्योंकि इस विवाद में दो पक्ष आमने-सामने आ गए हैं। एक प्राचीन केशवदेव मंदिर पक्ष है और दूसरा श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान। दरअसल, पुजारी ने पूरी 13.37 एकड़ भूमि पर अपना मालिकाना हक पेश कर दिया है। इस भूभाग के अंदर ही वह भाग भी आ रहा है, जिसकी व्यवस्था वर्तमान में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान कर रहा है।

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