पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए सुखमय रहे। पांच में से दो राज्यों में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिली वहीं दो राज्यों में तोड़-मरोड़ के साथ बीजेपी ने सत्ता की कुर्सी हासिल की। भाजपा के लिए यूपी की जीत सबसे बड़ी कामयाबी रही, प्रदेश में 14 साल का वनवास तोड़ भाजपा ने सरकार बनाई। पार्टी ने प्रदेश की राजनीति में ऐसी धमाके दार वापसी की जिसकी कल्पना खुद पार्टी ने भी नहीं की होगी। यूपी के इतिहास में अब तक की सर्वाधित सीटें जीतने का कारनाम भाजपा ने कर दिखाया है। पार्टी ने सभी विपक्षी राजनीतिक दलों को बुरी तरह से रौंद दिया है। सूनामी की बहाव में सबके सब बह गए हैं। यूपी के साथ-साथ उतराखंड में भी वापसी हो रही है।
प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व, केशव प्रसाद मौर्य के प्रदेश की कमान और अमित शाह की चाणक्य नीति ने विपक्ष के सारे सपने पल भर में चूर चूर कर दिए।परिणाम आने के बाद विपक्ष के नेता एकदम शांत हैं। उनकी समझ में ही नहीं आ रहा है कि आखिर इतना बड़ा बदलाव हुआ कैसे। जिन वादों के सहारे विरोधी दल प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार को लाने का दावा करते रहे असल मे वो सारे वादे खोखले साबित हुए। सपा-कांग्रेस गठबंधन को प्रदेश की जनता ने सिरे से नकार दिया, मायावती का दलित-मुस्लिम फैक्टर भी जनता को रास नहीं आया। चला तो बस प्रदेश के गोद लिए बेटे का जादू, और जादू कुछ यूं चला कि उसके सामने विपक्ष सिमट कर रह गई। चुनाव के परिणाम से मायावती इस कदर नाराज हुईं कि उन्होंने सीधे नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कह दिया कि ईवीएम से छेड़छाड करके भाजपा ने चुनाव जीता है। उन्होंने चुनाव को निरस्त करने की मांग की है। पुराने तरीकों से चुनाव कराने की मांग भी कर डाली है।
भारतीय जनता पार्टी को 403 में से 325 सीटों पर जीत हासिल हुई, भाजपा ने इस बार चुनाव में 384 उम्मीदवार ही मैदान में उतारे थे। सपा गठबंधन महज 54 और बसपा 19 पर सिमट कर रह गई। इस चमत्कारी जीत से एक बात साबित हो गई है कि तमाम तकलीफों को झेलने के बाद भी लोग मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के साथ खड़े हैं। नोटबंदी के फैसले के बाद देश में कई जगहों पर उप-चुनाव व निकाय चुनाव हुए। हर जगह भाजपा को सफलता मिली। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र में निकाय चुनाव हुए और उसके बाद चंडीगढ में, दोनों जगहों पर भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली। इसलिए पूर्व की यह सफलताएं यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के निर्णय पर देश की जनता ने मुहर लगा दी है। लगातार हो रही भाजपा की जीत ने कार्यकर्ताओं के भीतर जमकर उत्साह भर दिया है। विपक्षी दल देश में भ्रम फैला रहे हैं कि नोटबंदी के बाद जनता प्रधानमंत्री से खफा है। उत्तर प्रदेश, उतराखंड में पूर्ण बहुमत का मिलना व दूसरे राज्यों में उम्मीद से ज्यादा सफलता हासिल करना इस बात का संकेत है कि भाजपा के लिए जनता ने 2019 के रास्ते खोल दिए हैं।
मौजूदा जीत भाजपा के लिए दो साल बाद होने वाले आम चुनाव के लिए संजीवनी का काम करेगी। भाजपा को दिल्ली में दोबारा सरकार बनाने के लिए यूपी फतह करना पहली प्राथमिकता थी। यह जीत उनको दिल्ली जीतने के लिए आसान बनाएगी। पिछले एक साल के भीतर देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए सभी चुनावों में जनता ने विपक्ष को यह अच्छे से समझया है कि जनता का मूड क्या है और राजनीति की दिशा क्या है।
यूपी चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत कई मायनों में पार्टी के लिए संजीवनी का काम करने वाली है। इस जीत के बाद बीजेपी की राज्यसभा सदस्यता को मजबूती मिलेगी जिससे जुलाई में नए राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए भाजपा बिना किसी रोक टोक अपने उम्मीदवार को उतर सकेगी। इस जीते के साथ पीएम मोदी के कद में भी वृद्धि हुई है जिसका फायदा पार्टी को भविष्य में गुजरात चुनाव, और फिर 2019 में आम चुनावों में भी देखने को मिल सकता है। इस बारे में अमेरिका के एक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का भी कहना है कि पीएम मोदी 2019 के बाद भी सत्ता की कुर्सी पर आसीन रह सकते हैं।
बहरहाल यूपी चुनाव में महानायक मोदी की लहर नहीं सुनामी देखने को मिली, ऐसी सुनामी जिससे उबरने के लिए विपक्ष को बहुत स्वअध्ययन की आवश्यकता है, क्यांकि अब जनता लुभावने वादों पर नहीं, विकास के नाम पर वोट करती है।
-अभिलाष श्रीवास्तव