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उत्तराखंड में सरकारी तंत्र की लापरवाही का शिकार हुआ शहीद फौजी का शव

Martyrs body उत्तराखंड में सरकारी तंत्र की लापरवाही का शिकार हुआ शहीद फौजी का शव

देहरादून। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते शहीद हुए उत्तराखंड के लाल मानवेंद्र सरकारी सिस्टम की वजह से अपने अंतिम समय पर भी सरकार की बेरुखी का शिकार हो गए हैं। कल शाम ही मानवेंद्र का पार्थिव शरीर देहरादून के जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंच गया था। लेकिन वह राज्य सरकार का कोई भी नुमाइंदा ना तो एयरपोर्ट पहुंचा और ना ही सरकार ने कोई ऐसी व्यवस्था की कि ताकी उनके पार्थिव शरीर को तुरंत उनके परिवार को सौंपा जाए।

Martyrs body उत्तराखंड में सरकारी तंत्र की लापरवाही का शिकार हुआ शहीद फौजी का शव

आपको बता दें कि मानवेंद्र जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। उनका परिवार उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में रहता है। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि इस वक्त यात्रा चरम पर है। जगह-जगह भूस्खलन और सड़क बनने की वजह से लगातार जाम लग रहा है। बावजूद इसके राज्य सरकार ने इतनी भी कोशिश नहीं की कि उनके पार्थिव शरीर को हेलीकॉप्टर से ही उनके घर तक भिजवा दिया जाए।

लिहाजा देहरादून से सेना की गाड़ी में रखकर उनके शरीर को रुद्रप्रयाग के लिए भिजवाया गया था। जहां पर जाम लगने और भूस्खलन की वजह से उनका शरीर 3 घंटे तक जाम में ही फंसा रहा जबकि उनके अंतिम दर्शन के लिए उनका परिवार और पूरा रुद्रप्रयाग नम आंखों से उनका इंतजार कर रहा था।

यह वही सरकार है जो 1 साल में हजारों करोड़ रुपए हवाई यात्राओं पर खर्च कर रही है। यह वही सरकार है जिसके एक मंत्री सरकारी स्टेट प्लेन में अपनी विधानसभा के लोगों को मौज मस्ती करवाते हैं। लेकिन इस सरकार को शहीद की शहादत से कोई शायद लेना-देना नहीं है।

इतना ही नहीं सरकार ने जम्मू कश्मीर में शहीद हुए जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए अपने कैबिनेट मंत्री तक को नहीं भेजा। जिसके बाद उत्तराखंड सरकार में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य का कहना है कि शहीद को राज्य सरकार पूरा सम्मान देती है। सैनिकों को भी पूरा सम्मान दिया जाता है। लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो वह उसके लिए क्षमा मांगते हैं।

उधर कांग्रेस के नेता किशोर उपाध्याय ने भी सरकार की इस नजरअंदाजी पर सवाल खड़े किए हैं। किशोर उपाध्याय ने कहा है कि राज्य का प्रतिनिधित्व कर रही बीजेपी को शहीदों का अपमान नहीं करना चाहिए और ना केवल शहीद को हेलीकॉप्टर मुहैया कराना चाहिए था बल्कि उसकी अंतिम यात्रा में भी सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिए था।

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