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लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, ओम बिरला बोले- अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हुआ कामकाज

loksabha 620x400 1 लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, ओम बिरला बोले- अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हुआ कामकाज

विपक्ष के हंगामे के साथ शुरू हुई लोकसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के साथ ही स्थगित हो गई है। बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है।

लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

लोकसभा का मॉनसून सत्र विपक्ष के सख्त तेवर और हंगामे के साथ शुरू हुआ था। इसी के साथ बुधवार को सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। लोकसभा का मॉनसून सत्र दो दिन पहले ही समाप्त हो गया है। मानसून सत्र के लिए 19 जुलाई से 13 अगस्त तक की तारीख तय की गई थी। लेकिन सदन में विपक्ष के हंगामे के चलते दो दिन पहले ही लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है।

पूरे सत्र में 22 प्रतिशत हुआ काम

पोगासस जासूसी, तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग सहित कई मुद्दों को लेकर विपक्ष लगातार सदन में सरकार पर हमलावर था। सदन की कार्यवाही विपक्ष के सवालों से शुरू होती और हंगामे के साथ खत्म हो रही थी। ऐसे में पूरे सत्र में सदन का कामकाज पूरी तरह से बाधित रहा। मॉनसून सत्र के दौरान सदन में सिर्फ 22 प्रतिशत कार्य ही हुआ। 20 विधेयक पारित हुए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुबह कार्यवाही शुरू होने पर बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ।

अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हुआ कामकाज- ओम बिरला

मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के हंगामे के कारण बाधित हुए सदन के कामकाज को लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी दुख जताया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा 17वीं लोकसभा का 6वां सत्र आज सम्पन्न हुआ, इस सत्र में अपेक्षाओं के अनुरुप सदन का कामकाज नहीं हुआ। इसे लेकर मेरे मन में दुख है। मेरी कोशिश रहती है कि सदन में अधिकतम कामकाज हो, विधायी कार्य हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो। ओम बिरला ने कहा कि सभी संसद सदस्यों से अपेक्षा रहती है कि हम सदन की कुछ मर्यादाओं को बनाए रखें। हमारी संसदीय मर्यादाएं बहुत उच्च कोटि की रही हैं। बिरला ने बताया कि व्यवधान के कारण 96 घंटे में करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका।

लोकसभा में पास हुआ ओबीसी संशोधन बिल

मंगलवार को लोकसभा में भी ओबीसी संशोधन बिल पास हो गया है। अब राज्यों को ये हक मिल गया है कि वे ओबीसी की अपनी लिस्ट बनाएं। ये बहुत पुरानी मांग थी, जिस पर पक्ष-विपक्ष साथ थे। मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में ऐसी बहस पहली बार दिखी। सरकार अपनी बात कहती रही और विपक्षी सांसद अपनी सीट पर बैठकर बहस सुनते रहे। हालांकि उससे पहले इस तरह का माहौल कम ही देखने को मिला। जब विपक्ष की ओर से कोई हंगामा नहीं किया गया और नारेबाजी नहीं की गई। वहीं अब सरकार ओबीसी आरक्षण से जुड़ा विधेयक राज्यसभा से पारित कराने के बाद उच्च सदन को भी अगले सत्र तक के लिए स्थगित करने की तैयारी में है।

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