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जम्मू कश्मीर के नये उपराज्यपाल के रूप में मनोज सिन्हा ने शपथ ली..

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जम्मू कश्मीर से राजेश विद्यार्थी की रिपोर्ट

जम्मू शमीर के नये उपराज्यपाल के रूप में मनोज कुमार सिन्हा ने शपथ ली। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को शपथ दिलाई। राज्य के पहले उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने 5 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था। कल ही मुर्मू को सीएजी बनाया गया है।

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भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को गुरुवार को जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था। उनकी नियुक्ति यहां के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के अचानक इस्तीफा देने के एक दिन बाद हुई। जीसी मुर्मू ने केन्द्र शासित प्रदेश की बागडोर संभालने के 9 महीने बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

राज्य के नए लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज कुमार सिन्हा शुक्रवार दोपहर साढ़े बारह बजे श्रीनगर स्थित राजभवन में शपथ हासिल की। जम्मू कश्मीर की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने मनोज कुमार सिन्हा को शपथ दिलाई। मनोज कुमार ने अपने संक्षिप्त भाषण में राज्य के विकास पर बल दिया।समारोह के दौरान भाजपा के कई शीर्ष नेता पूर्व स्पीकर डा निर्मल सिंह, पूर्व स्पीकर कविंद्र गुप्ता, भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना शनिवार सुबह ही हवाई मार्ग से श्रीनगर पहुंचे। मनोज कुमार सिन्हा शुक्रवार शाम को ही श्रीनगर पहुंच गए थे और आला अधिकारियों से मुलाकात की। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रहमणयम सहित प्रशासन के चुनिंदा अधिकारी ही समारोह में उपस्थित रहे। सेना और पुलिस बैंड ने उन्हें राजकीय सम्मान प्रदान किया। राष्टगाण के बाद ही वह सचिवालय चले गए। कोरोना की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा गया। करीब आधा घंटे तक चले इस कार्यक्रम के बाद एलजी ने प्रशासन के अधिकारियों से राज्य के हालात के बारे में भी जायजा लिया।

सचिवालय पहुंचने के बाद उन्होंने अपना प्रभार संभालते हुए विकास कार्यों की समीक्षा की। समारोह में भाजपा के अलावा अन्य किसी भी राजनीतिक दल केवरिष्ठ नेता नहीं पहुंचे । नेशनल कॉन्फ्रेंस और पी.डी. पी पहले ही उन पर हिंदूवादी विचार धारा का भाजपा का एजेंट करार दे चुके हैं। एलजी के पदभार संभालते हीजम्मू कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से भी जल्द ही मुलाकात करेंगे। अलगावादियों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए भी एलजी ठोस कदम उठा सकते हैं। हालांकिअलगाववादी नेताओं से राज्य में शांति बहाल को लेकर बैठक का न्यौता देने की भी उम्मीद जताई जा रही है।

1959 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के गांव मोहनपुर निवासी मनोज कुमार सिन्हा ने वाराणसी आईआईटी से सिविल
इंजीनियरिंग में एम टेक की डिग्री हासिल की। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के भी सक्रिय सदस्य रहे।
हिंदूवादी विचारधारा के कारण वह भाजपा कार्यकारिणी की सदस्य रहे। उन्होंने 1996, 1999 और 2014 में गाजीपुर
लोकसभा सीट से सांसद रहे। राजनीतिक कैरियर के दौरान वह एक बार 2019 में बसपा के उम्मीदवार से चुनाव हार चुके हैं। हालांकि उनका नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर भी लिया गया था।

भाजपा कश्मीर में राजनीतिक तौर पर पैर जमाने और विकास के लिए मनोज सिन्हा घाटी में काम करेंगे।। सिन्हा को तुरंत
फैसले लेने वाला विकास पुरूष भी कहा जाता है।

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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल मुर्मू के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया था और इस पद पर मनोज सिन्हा को नियुक्त किया है। शपथ ग्रहण करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सिन्हा ने कहा कि कश्मीर भारत का स्वर्ग है, मुझे यहां भूमिका निभाने का अवसर दिया गया है। 5 अगस्त एक महत्वपूर्ण तारीख है, जम्मू-कश्मीर मुख्यधारा में शामिल हुआ है। सालों बाद यहां कई परियोजनाएं शुरू हुईं, मेरी प्राथमिकता उन परियोजनाओं को आगे ले जाना होगा।

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