नई दिल्ली। कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज की जम्मू-कश्मीर पर विवादित पुस्तक के विमोचन समारोह से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम सरीखे बड़े नेता दूर रहे। कश्मीर की आजादी के समर्थक सोज के बयानों को पहले ही खारिज कर चुकी कांग्रेस ने सियासी डैमेज कंट्रोल के लिए अपने बड़े नेताओं को विमोचन समारोह में जाने से रोक दिया। हालांकि जयराम रमेश वहां पहुंचे।
बता दें कि कांग्रेस साफ तौर पर कश्मीर जैसे संवेदनशील मामले में अति उदारवादी रुख अपनाने का सियासी जोखिम नहीं लेना चाहती है। मौजूदा दौर में पार्टी के सबसे सम्मानित नेता मनमोहन सिंह के साथ चिदंबरम के सोज के पुस्तक विमोचन में शामिल होने से यह संदेश तो चला ही जाता कि कांग्रेस को कश्मीर पर उनकी निजी राय से एतराज नहीं है। पार्टी ने ऐसी कोई धारणा न बने यह सुनिश्चित करने के लिए ही मनमोहन और चिदंबरम को इसमें शरीक नहीं होने का इशारा कर दिया।
जबकि पूर्व पीएम ने पहले सोज के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया था। इसी तरह चिदंबरम ने भी इसमें शामिल होने की हामी भर दी थी। मगर पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के कश्मीरियों को लेकर दिये गए बयान से सोज के सहमति जताने के विवाद ने सियासी माहौल पलट दिया। इस विवाद में कांग्रेस की सियासत पर आंच न आए इसके मद्देनजर पार्टी ने तत्काल सोज के बयान को पुस्तक बेचने के लिए सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा करार दिया। साथ ही उनके बयानों को सिरे से खारिज कर दिया।
वहीं ध्यान रहे कि कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस बहुत संतुलित दिखती रही। सरकार गठन को लेकर भी कोई उतावलापन नहीं दिखाया गया। पीडीपी से दूरी भी बरकरार रखी गई। दरअसल कांग्रेस ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती है जिससे पूरे देश में उसके खिलाफ माहौल बने। ऐसे में सोज की कश्मीर की आजादी के बयान ने कांग्रेस को असहज कर दिया था।