नई दिल्ली। पांच राज्याें में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान कर दिया गया है। नार्थ ईस्ट के 60 विधानसभा वाले राज्य मणिपुर में दो चरणों में चुनाव होने हैं। पहले चरण में चुनाव 38 सीटों के लिए 4 मार्च को, जबकि 22 सीटों के लिए दूसरे चरण में 8 मार्च को चुनाव की एलान किया गया है। आपको बता दें कि मौजूदा समय में कांग्रेस की इस राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार है, साथ ही ओकराम इबोबी सिंह राज्य के मुख्यमंत्री हैं, कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में 50 सीटें हासिल की थीं।
दो चरणाें में होंगे चुनाव- पहले चरण के चुनाव में 4 मार्च को 38 सीटों पर मतदान होना है, इसके लिए 8 फरवरी तक नोटिफिकेशन, 15 फरवरी तक नॉमिनेशन की तारीख, 16 फरवरी स्क्रूटनी ऑफ नॉमिनेशन और 18 फरवरी को नाम वापसी लेने की तिथि बताई गई है।
दूसरे चरण के चुनाव में 8 मार्च को 22 सीटों पर मतदान होना है, इसके लिए 11 फरवरी तक नोटिफिकेशन, 18 फरवरी तक नॉमिनेशन की तारीख, 20 फरवरी स्क्रूटनी ऑफ नॉमिनेशन, और 22 फरवरी को नाम वापसी लेने की तिथि बताई गई है।
मणिपुर का सियासी हाल- नार्थ ईस्ट के मणिपुर राज्य में विधानसभा चुनाव कई मामलों में खास माना जा सकता है, राज्य में मौजूदा समय में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार है। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, नगा प्रदर्शनां की वजह से चुनाव आयोग ने सुरक्षा इंतजाम की ध्यान रखते हुए तारीख तय करने में काफी माथापच्ची की है। राज्य के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के लिए इस बार की टक्कर आसान नहीं होने वाली है, राष्ट्रीय स्तर पर जहां कांग्रेस की स्थिति डमाडोल है वहीं पर इस बार कांग्रेस को राज्य में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने में नाको चने चबाने पड़ सकते हैं।
इरोम लड़ सकती हैं चुनाव- 16 साल तक लगातार अफस्पा को हटाने की मांग को लेकर अनशन कर चुकी इरोम शर्मिला अब राज्य के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। इरोम विधानसभा चुनाव में सीएम के खिलाफ लड़ सकती हैं। अगस्त के महीने में अनशन तोड़ने के बाद अक्टूबर महीने में पीपुल्स रिसर्जेस एंड जस्टिस अलायंस नामक पार्टी का गठन कर चुकी हैं।इरोम शर्मिला ने आरोप लगाया है कि अपने पूरे कार्यकाल में सीएम ने एएफएसपीए हटाने के लिए कोई भी कठोर कार्यवाही नहीं की है। इस कानून के बारे में बोलते हुए इरोम ने कहा है कि मैंने महसूस किया है कि इसे कोई भी राजनेता नहीं हटाएगा और इसलिए वे अब चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बनेंगी और इस कठोर कानून को हटाने का प्रयास करेंगी। उन्होंने कहा कि इस कानून को हटाने को लेकर इतना बड़ा अनशन किया है, मैने इस बेड़े को उठाया है और राजनीतिक एंव सामाजिक तरीके से इस मुद्दे को उठाया जाएगा।