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गुजरात का रण कांग्रेस को पड़ा भारी

gujarat me congress ki har गुजरात का रण कांग्रेस को पड़ा भारी

नई दिल्ली। गुजरात के विधान सभा चुनाव की शुरूआत पागल विकास और पाटीदार के आरक्षण से हुई लेकिन इसके बीच फरीद फरोख्त के साथ वायरल हुई सीडी और विडियो के रास्ते जनेऊ और मंदिर का भी नाम जुड़ा। कारवां बनता गया और लोगों के साथ बयानों को खेल होता गया नीच और आलू की मशीन और मसरूम का भी जिक्र आया। लेकिन विकास का मुद्दा आखिरकार फिर से पूरे चुनाव से गायब हो गया। आखिर कैसा क्यूं हुआ क्या कांग्रेस भाजपा की रणनीति की शिकार हो गई या फिर कांग्रेस की रणनीति फेल हो गई।

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गुजरात विधान सभा का रण
गुजरात के रण के पहले कांग्रेस ने भाजपा को 22 सालों के हिसाब और विकास के मुद्दे पर घेरने की रणनीति तय की थी। जिसको लेकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने गुजरात में भगवान से लेकर जनता तक को साथ जोड़ने की कवायद शुरू की एक तरफ मंदिरों में माथा टेकते तो दूसरी तरफ विकास के मुद्दे पर गुजरात के मॉडल को लेकर पीएम मोदी और भाजपा पर निशाना साध रहे थे। लेकिन इस दौरान राहुल की रणनीति में कई तरह के प्रयोगों ने कांग्रेस के लिए गुजरात का रण कठिन कर दिया। राहुल जहां आरक्षण और विकास के मुद्दे पर भाजपा को घेरने उतरे थे। वहीं कांग्रेस के अन्य नेताओं ने इधर-उधर के मुद्दों को उछाल कर चुनाव में कांग्रेस को मुद्दों से पीछे कर दूसरी जंग में उतार दिया।

पाटीदारों और गैर पाटीदारों का द्वंद
पाटीदारों और गैर पाटीदारों के लेकर भी कांग्रेस की स्थिति पूरे गुजरात में अस्थिर दिखी। क्योंकि एक तरफ पाटीदार आरक्षण को समर्थन देने का ऐलान था। तो दूसरी तरफ आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस ने ये भी साफ किया कि आयोग गठित कर रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाएगा। इससे साफ हो गया कि आरक्षण को लेकर कांग्रेस खुलकर समर्थन में नहीं है। इसके साथ ही पाटीदारों के साथ कांग्रेस का खड़ा होना गैर पाटीदारों वोटरों को उससे दूर करने जैसा रहा । जहां पाटीदार भी खुलकर कांग्रेस के साथ नहीं आए वहीं गैर पाटीदार भी कांग्रेस से दूर दिखे। जिसका असर कांग्रेस के वोट बैंक पर पड़ा।

युवाओं पर अनुभव पड़ा भारी
जहां युवाओं की टीम थी वहीं भाजपा के रणनीतिकारों की अनुभवी प्रौढ़ टीम जिसने गुजरात के मिजाज को और जनता की नब्ज को जमकर टटोला था। जिसका एक सधी रणनीति के आधार पर भाजपा ने प्रयोग किया। इस प्रयोग के जबाव में राहुल की यूथ टीम अपने आपको सम्भाल नहीं पाई। जैसे पहले राहुल और हार्दिक की मुलाकात की बात सामने आई राहुल और हार्दिक का इनकार था। लेकिन आखिरकार जब वीडियो सामने आया तो इस बात पर दोनों लम्बे समय तक खामोश रहे। इसके बात जब हार्दिक की सीडी वायरल हुई तो भी स्थिति कमोबेस वैसी ही रही। गुजरात के चुनाव में मुद्दों के इतर चले खेल में राहुल और उनकी यूथ ब्रिगेड फंसती गई। अन्त में इस कदर बवंडर उठा जिसमें राहुल को खासा नुकसान उठा पड़ा है।

विवादों से दामन भी ना बचा
कभी मुलाकात को लेकर विवाद तो कभी मंदिर दर्शन को लेकर विवाद तो कभी बयानबाजी को लेकर विवाद इसके साथ ही राहुल के भाषण में विवादित शब्दों ने जहां चुनाव के दौरान पूरा मनोरंजन किया । इसके साथ ही जनता के बीच मुकाबला रोचक बनाया वहीं इन सभी बातों ने कहीं ना कहीं गुजरात के मुख्य चुनावी मुद्दे से राहुल गांधी को दूर कर दिया। जिसके बाद जिस मुद्दे पर चुनाव की शुरूआत हुई थी, वो मुद्दा पूरे चुनाव से गायब रहा भाजपा ने इसे मोदी बनाम राहुल और गुजरात बनाम कांग्रेस बना दिया। अन्त तक मुद्दा यही बना रहा।

Piyush Shukla गुजरात का रण कांग्रेस को पड़ा भारीअजस्र पीयूष

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