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गाली फिल्मों के जाने माने अभिनेता तापस पॉल की मौत का ममता ने बताया केंद्र सरकार को जिम्मेदार

ममता बनर्जी गाली फिल्मों के जाने माने अभिनेता तापस पॉल की मौत का ममता ने बताया केंद्र सरकार को जिम्मेदार

नई दिल्ली: बंगाली फिल्मों के जाने माने अभिनेता एवं तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सांसद तापस पॉल के निधन के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की ‘बदले की राजनीति’ की वजह से मैंने तीन मौतें देखी हैं। तापस पॉल का मंगलवार को मुंबई में दिल का दौरे पड़ने की वजह से निधन हो गया था। उनके चिटफंड मामले में कथित तौर पर लिंक होने की जांच चल रही थी। इस मामले में बंगाल में सत्तारुढ़ दल टीएमसी के कई और नेता भी आरोपी हैं मुख्यमंत्री ने कहा, ‘केंद्र सरकार की बदले की राजनीति निंदनीय है। मैंने इसकी वजह से अपनी आंखों के सामने तीन मौतें देखी हैं। कानून को खुद का काम खुद करना चाहिए, लेकिन दिनों दिन अपमान लोगों को खत्म कर रहा है।

बता दें कि तापस पॉल का मंगलवार तड़के दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 61 साल के थे। परिवारिक सूत्रों ने बताया कि पॉल अपनी बेटी से मिलने मुम्बई गए थे। कोलकाता लौटते समय मुम्बई हवाई अड्डे पर उन्हें सीने में दर्द की शिकायत हुई जिसके बाद उन्हें जुहू के एक अस्पताल ले जाया गया, सुबह करीब चार बजे उनका निधन हो गया। उन्हें हृदय संबंधी बीमारियां थीं और पिछले दो साल से उनका इलाज चल रहा था।

वहीं पॉल कृष्णानगर से दो बार सांसद और अलीपुर से विधायक रह चुके हैं। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है। पॉल का जन्म हुगली जिले के चंदन नगर में हुआ था और हुगली मोहसिन कॉलेज ने उन्होंने स्नातक किया था। सीबीआई ने 2016 में रोज़ वैली चिटफंड मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था और करीब 13 महीने बाद उन्हें जमानत मिली थी। इसके बाद से ही उन्होंने फिल्मों और सक्रिय राजनीति दोनों से दूरी बना ली थी।

उन्होंने ‘साहेब’ (1981), ‘परबत प्रिया’ (1984), ‘भालोबाशा भालोबाशा’ (1985), ‘अनुरागर चोयन’ (1986) और ‘अमर बंधन’ (1986) जैसी कई हिट फिल्में दी। फिल्म ‘साहेब’ (1981) के लिए उन्हें ‘फिल्मफेयर’ पुरस्कार भी मिला था। बॉलीवुड में उन्होंने अपनी पारी की शुरुआत 1984 में फिल्म ‘अबोध’ से की थी। तृणमूल कांग्रेस से पॉल 2000 में जुड़े थे और 2001 में अलीपुर से विधायक चुने गए। रोज़ वैली चिटफंड घोटाले में 2016 में गिरफ्तार होने के बाद उनके परिवार के कई सदस्यों ने पार्टी पर उन्हें नजअंदाज करने का आरोप भी लगाया। 2018 में जेल से छूटने के बाद वह सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे और उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।

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