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फर्जी खबर चलाने वालों पर शिकंजा कसेगी मलेशिया सरकार, खतरे में पड़ सकती है मीडिया की आजादी

Bendera Malaysia2 फर्जी खबर चलाने वालों पर शिकंजा कसेगी मलेशिया सरकार, खतरे में पड़ सकती है मीडिया की आजादी

मलेशिया में फर्जी समाचार को गैरकानूनी बनाने के लिए फर्जी समाचार निरोधक विधेयक मसौदा तैयार किया गया है। इस विधेयक को इस सप्ताह के शुरू में संसद में पेश किया जाएगा। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, इस विधेयक का उद्देश्य फर्जी समाचार बनाने वालों पर शिकंजा कसना है, लेकिन इसे लेकर अब वहां मीडिया की आजादी को लेकर लोग चिंतित हो गए हैं।

 

Bendera Malaysia2 फर्जी खबर चलाने वालों पर शिकंजा कसेगी मलेशिया सरकार, खतरे में पड़ सकती है मीडिया की आजादी

 

विदित हो कि मलयेशिया में अगस्त महीने में चुनाव होना है और सरकारी धन के घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री नजीब रजाक की काफी फजीहत हो रही है। इन्हीं दोनों मसलों को देखते हुए वहां के कुछ मीडियाकर्मियों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। समाचार चैनल सीएनएन के अनुसार, इस फर्जी समाचार निरोधक विधेयक के तहत फर्जी समाचार बनाने और फैलाने वालों को छह साल की जेल और एक लाख तीस हजार अमेरिकी डॉलर तक जुर्माना हो सकता है।

 

इस विधेयक के अनुसार, आंशिक तौर पर झूठे समाचार, सूचना, डेटा और रिपोर्ट को फर्जी समाचार माना गया है। इसमें हर तरह की जानकारी जैसे ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स शामिल हैं। इस नए विधेयक के जरिए अंतर्राष्ट्रीय मीडिया पर भी निशाना साधा गया है। इस कानून के जरिए सरकार फर्जी समाचार बनाने या फैलाने वाले देशी और विदेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

 

इस विधेयक के पारित होने में कोई संशय नहीं है, क्योंकि नजीब की पार्टी और उसके गठबंधन को 222 सदस्यीय संसद में बहुमत हासिल है। हालांकि इस विधेयक को लेकर कई सांसदों ने सरकार की आलोचना की है और कहा है कि वह इसके जरिए चुनाव से पहले अपने विरोधियों को ठिकाना लगाना चाहती है। समाचार चैनल सीएनएन के अनुसार, पूर्व कानून मंत्री जैद इब्राहिम ने विधेयक को अनावश्यक बताते हुए कहा कि इसकी जरूरत प्रधानमंत्री नजीब को है ना कि देश को। वह लोगों को ड़राने के लिए इस तरह का कानून चाहते हैं। मालेशिया की बार कौंसिल ने भी इस विधेयक को वापस लेने की मांग की है।

 

यह हवा सिर्फ मलेशिया में ही नहीं चल रही है, बल्कि पड़ोसी देश सिंगापुर ने भी फर्जी समाचार से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। ऑनलाइन फर्जी समाचार से निजात पाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्होंने संसदीय प्रवर समिति का गठन किया है। समिति ने प्रौद्योगिकी कंपनियां, गुगल, ट्विटर और फेसबुक के प्रतिनिधियों को समन किया है। इनके अलावा दक्षिण पूर्व एशिया के कई अन्य देश भी फर्जी समाचार से निपटने की फिराक में हैं।

 

विदित हो कि म्यांमार में रोहिंग्या मामले में अंतर्राष्ट्रीय कवरेज को रोकने के लिए अधिकारियों ने अपनी शक्ति का भरपूर दुरुपयोग किया है।वहीं फलिपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते ने फर्जी समाचार के प्रकाशन के लिए ऑनलसइन समाचार प्रकाशक रैप्पलर की निंदा की। इतना ही नहीं कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन ने फर्जी समाचारों के लिए देश की मीडिया की आलोचना की है।

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