नोबेल पुरूस्कार विजेता मलाला युसुफ जई ने उस घटना को याद किया जब तालिबानियों ने उन पर हमला किया था। उन्होंने अपने अतीत के पन्नों को याद किया और अफगानिस्तान में महिलाओं को लेकर चिंता जाहिर की। मलाला ने कहा कि वह उस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं जो अमेरिका के बोस्टन से अफगानिस्तान में हो रहा है।
बता दें कि इस वक्त मलाला बोस्टन अपनी फ़ेशियल परालिसिस की सर्जरी के लिए गई हुई हैं। मलाला को ये सर्जरी पाकिस्तानी तालिबानी की लगी गोली के कारण करानी पड़ रही है। अक्टूबर 2012 में जब मलाला अपने स्कूल से घर जा रही थी तभी पाकिस्तानी तालिबान के एक चरमपंथी ने मलाला को गोली मार दी थी। जिससे उन्हें फ़ेशियल परालिसिस हो गया था। मलाला ने अफगानी महिलाओं की चिंता करते हुए कहा कि अफगान पर तालिबान के कब्जे का खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ सकता है।
वहीं मलाला ने कहा कि मुझे तालिबान की गोली खाए हुए 9 साल हो गए हैं। लेकिन मैं आज तक उस दर्द को सह रही हूं। अफगानिस्तान तो पिछले 4 दशक से गोलियां छेल रहा है। मैं वहां के लोगों के बारे में सोचती हूं तो मेरी रूह कांप उठती है। जिस तरह से अफगानिस्तान के लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। उनके बारे में सोच कर बहुत बूरा लगता है।
उन्होंने कहा कि मैं दुनिया भर के राष्ट्र प्रमुखों को खत लिख कर अफगानिस्तान के लिए मदद मांग रही हूं। अफगानिस्तान में अब भी जो अधिकार के लिए लड़ने वाले एक्टिविस्ट हैं उनको फोन कर उनसे बात कर रही हूं। पिछले कई दिनों से हमने कुछ लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने में मदद की है। लेकिन हम अकेले सबको सुरक्षित जगह पर नहीं पहुंचा सकते।
मलाला ने कहा कि हमने अपनी उन दोस्तों से भी बात की है जो हमारी घटना के वक्त हमारे साथ थी। उन दोनों का कहना है कि वह आज भी उस हादसे को याद करके डर जाती है। मलाला अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर काफी परेशान है। उन्होंने कहा कि 1996 से 2001 तक जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का शासन रहा तो महिलाओं के हालात बहुत बुरे थे।