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मकर संक्राति 2021- ये चीजें दान करने से सफल होगी पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

sankranti मकर संक्राति 2021- ये चीजें दान करने से सफल होगी पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

भारतीय धार्मिक परम्परा में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से अपनी दिशा बदलकर उत्तरायण हो जाता है अर्थात सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिससे दिन की लंबाई बढ़नी और रात की लंबाई छोटी होनी शुरू हो जाती है. भारत में इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है. अत: मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं. मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गुड़ और तिल लगाकर नर्मदा में स्नान करना लाभदायी होता है. इसके बाद दान संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ मिलता है और पुण्यफल की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही मकर संक्रांति का यह त्योहार भारत भर में पतंजबाजी के लिए भी काफी प्रसिद्ध है.

मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति- 14 जनवरी, 2021 (गुरुवार)
पुण्य काल मुहूर्त- 08:03:07 से 12:30:00 तक
अवधि- 4 घंटे 26 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त- 08:03:07 से 08:27:07 तक
अवधि- 0 घंटे 24 मिनट
संक्रांति पल- 08:03:07

मकर संक्रांति क्‍यों है सबसे खास
12 संक्रांतों में से मकर संक्रांति को सबसे ज्‍यादा अहमियत इसलिए दी जाती है क्‍योंकि इसे खेत-खलियानों, फसलों से जुड़े हुए त्‍योहार के रूप में भी मनाया जाता है. असल में मकर संक्रांति के दौरान खेतों में फसलें तैयार हो चुकी होती हैं और इसी खुशी में सब मकर संक्रांति पर फसलों के तैयार होने की खुशियां मनाते हैं. संक्रांति के दिन ही हम हर उन चीज़ों का आभार प्रकट करते हैं जिसने खेती और फसल उगाने का काम किया हो.

मकर संक्रांति का महत्व
धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिये से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है. लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है.
एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है. बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा.

फसलों की कटाई का त्यौहार
नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है. पंजाब, यूपी, बिहार समेत तमिलनाडु में यह वक्त नई फसल काटने का होता है, इसलिए किसान मकर संक्रांति को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं. खेतों में गेहूं और धान की लहलहाती फसल किसानों की मेहनत का परिणाम होती है लेकिन यह सब ईश्वर और प्रकृति के आशीर्वाद से संभव होता है. पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मकर संक्रांति को ’लोहड़ी’ के नाम से मनाया जाता है.

मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का है विशेष महत्व
मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व हैं, सुहागन महिलाओं द्वारा वस्तुओं का दान करने से पति की आयु लंबी होती हैं. इस दिन गुड़, चावल और तिल का दान करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन दान करने से सूर्य देव की कृपा से सफलता के मार्ग प्रशस्‍त होते हैं. सूर्य का तेज जीवन में आने वाली असफलताओं का नाश कर जीवन में सफलता प्रदान करने का काम करता हैं.

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