शख्सियत

देश भक्ति की मिसाल हैं मेजर ध्यानचंद, ठुकरा दी थी हिटलर की पेशकश

dhyan chand and hitler

नई दिल्ली। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद जितने चर्चित अपने खेल के लिए हैं उतने ही चर्चित वो इस बात के लिए जाने जाते हैं कि उन्होंने हिटलर की पेशकश को ठुकरा दिया था। मंगलवार को उनकी जयंती है। और हम आपको उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें बता रहे हैं। ध्यानचंद के जन्मदिन को पूरे देश में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद की ख्याति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बर्लिन ओलंपिक के 36 साल बाद उनके बेटे अशोक कुमार हॉकी खेलने जर्मनी पहुंचे तो उनसे मिलने एक व्यक्ति स्ट्रेचर पर पहुंचा था। ध्यानचंद को पद्मभूषण से सम्मानित किया गया और अब उनके लिए भारत रत्न की मांग हो रही है।

dhyan chand and hitler
dhyan chand and hitler

वहीं ध्यानचंद को हॉकी में दुनिया का सबसे बेहतरीन खिलाड़ी माना जाता है। ध्यानचंद को हॉकी में वही स्थान प्राप्त है जो मुक्केबाज़ी में मोहम्मद अली, फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में डॉन ब्रैडमैन को हासिल है। ध्यानचंद ने भारत में 1928 में एम्सटर्डम, 1932 में लॉस एंजेलिस और 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का नेतृत्व किया। ध्यानचंद को उनके खेल के लिए तो याद किया ही जाता हे लेकिन हिटलर के प्रस्ताव को ठुकराने के लिए भी जाना जाता है।

बता दें कि ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने मेजर को सेना में सबसे उंचे पद का प्रस्ताव दिया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। ध्यानचंद ने हिटलर को अपनी देश भक्ति से अवगत कराते हुए कहा था कि मैंने भारत का नमक खाया है और मैं उसी के लिए खेलूंगा। उस वक्त ध्यानचंद लांस नायक थे। ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार के जहन में भी अपने पिता की कई यादे समाई हुई है।

Related posts

राज्यपाल ने सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक एस॰पी॰ बालासुब्रह्मण्यम के निधन पर शोक-संवेदना व्यक्त की

Atish Deepankar

बर्थडे स्पेशल-फिल्मों को छोड़ ऐसा जीवन जी रहें हैं सुनील शेट्टी, आप भी देखें

mohini kushwaha

हैप्पी बर्थडे- मनोज बाजपेयी की अर्श से फर्श तक की कहानी

mohini kushwaha