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हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के खेल का मुरीद था हिटलर, लेकिन ठुकरा दिया था तानाशाह का ऑफर

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हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की आज, 29 अगस्त 2022 को 117वीं जयंती है। हर साल 29 अगस्त को नेशनल स्पोर्ट्स डे मनाया जा रहा है। ये दिन हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।

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हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले भारत के महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्म 29 अगस्त 1905 को वर्तमान प्रयागराज, यूपी में हुआ था। अपनी बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्‍होंने 1922 में एक सैनिक के रूप में भारतीय सेना की सेवा की। वह एक सच्चे खिलाड़ी थे और हॉकी खेलने के लिए सूबेदार मेजर तिवारी से प्रेरित थे। ध्यानचंद ने उन्हीं की देखरेख में हॉकी खेलना शुरू किया।

Major Dhyan Chand, जब एडोल्फ हिटलर ने किया था मेजर ध्यान चंद को किया सैल्यूट - when adolf hitler salute major dhyan chand - Navbharat Times

उन्‍होंने 1928, 1932 और 1936 में भारत को तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक दिलाए। उन्होंने 1936 के बर्लिन ओलंपिक फाइनल में जर्मनी पर भारत की 8-1 की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसमें वह 3 गोल के साथ टॉप स्‍कोरर भी बने थे। वह 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में 14 गोल करने वाले खिलाड़ी भी थे। मेजर ध्यानचंद ने 1926 से 1948 तक अपने करियर में 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल किए, जबकि अपने पूरे करियर में लगभग 1,000 गोल किए।

मेजर ध्यानचंद के खेल से प्रभावित होकर हिटलर ने दिया था यह ऑफर!

हिटलर भी ध्यानचंद के व्यक्तित्व और खेल का मुरीद था
आपको बता दें कि तानाशाह हिटलर भी ध्यानचंद के खेल का मुरीद थे। दरअसल, बात 1936 की है, जब ध्यानचंद ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने के लिए जर्मनी के बर्लिन शहर में पहुंचे थे। वैसे तो उन दिनों ध्यानचंद के खेल के चर्चे पूरी दुनिया में होते थे। उनके खेल के बाकी लोगों जैसे ही हिटलर भी मुरीद था और ध्यानचंद के व्यक्तित्व से भी काफी प्रभावित था।

‘मैंने भारत का नमक खाया है, सिर्फ भारत के लिए खेलूंगा’
हिटलर ने बर्लिन में ध्यानचंद से मुलाकात की और उन्हें अपनी सेना में बड़े पद का प्रस्ताव दिया। हालांकि, तब ध्यानचंद ने बड़ी विनम्रता से यह कहकर हिटलर को ना बोल दिया कि मैंने भारत का नमक खाया है। मैं भारत के लिए ही खेलूंगा।

When Major Dhyan Chand turned down 'Hitler' offer, received title of 'Hockey Wizard' | NewsTrack English 1

हिटलर को ना बोलते देख ध्यानचंद तब पूरी दुनिया में सुर्खिया बन गए थे। लोग अब खेल के साथ-साथ उनकी देशभक्ति, बहादुरी और दृढ़ निश्चयता की भी तारीफ करते थे। वैसे, तो ध्यानचंद को लंबे समय से भारत रत्न देने की मांग की जा रही है, मगर अब तक इस पर भारत सरकार का कोई स्पष्ट रूख सामने नहीं आया है।

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