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मैनपुरीः स्कूल में ‘मिड डे मील’ खाने के लिए खुद बच्चों को लाना पड़ता है जलाऊ लकड़ी

मैनपुरी 2 मैनपुरीः स्कूल में 'मिड डे मील' खाने के लिए खुद बच्चों को लाना पड़ता है जलाऊ लकड़ी

मैनपुरीः वैसे तो सरकार जनता के लिए काफी योजनाएं चलाती है उन्हीं योजनाओं की अगर हम बात करें तो केन्द्र सरकार की सबसे बड़ी योजना जो कि सरकारी स्कूलों में लागू की गयी थी। वो थी मिड-डे मील की योजना-इस योजना पर सरकार की सीधी मंशा थी कि स्कूल में पढ़ने के लिए आने वाले बच्चों को भरपेट भोजन की व्यवस्था करना है। लेकिन देश के सबसे बड़े प्रदेश के सबसे बड़े राजनैतिक घराने का जिला माना जाने वाला जनपद मैनपुरी में आप खुद ही देखिये मिड-डे मील की हकीकत क्या है?

 

मैनपुरी 2 मैनपुरीः स्कूल में 'मिड डे मील' खाने के लिए खुद बच्चों को लाना पड़ता है जलाऊ लकड़ी

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यहां  बच्चों को मिड-डे मील को पकाने के लिए खुद अपने सर पर पहले गांव से कण्डे लाने पड़ते है। उसके बाद उनका भोजन तैयार होता है बार-री सरकार हद हो गयी,जब इन बच्चों को अभी से बोझा उठाना ही इनका कर्त्तव्य है तो ऐसी योजनाओं का बन्द हो जाना ही बेहतर है,आप खुद ही देखिये योगी जी और इसको देखे वह लोग जो आपकी सरकार में बैठें है।

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पूरा मामला जनपद मैनपुरी के बरनाहल विकासखंड के ग्राम पंचायत डालूपुर के प्राथमिक विद्यालय वहसी का है।जहां बच्चों के मिड-डे मील के लिए आए गैस सिलेंडर को 3 साल से पूर्व प्रधान दिनेश चंद यादव निवासी डालूपुर अपने घर पर रख कर अपने घर का खाना बना रहे है। वहीं विद्यालय में बच्चों के लिए खाना आए दिन नहीं बनता है। क्योंकि गैस के अभाव में ईंधन एकत्रित नहीं हो पाता जब कभी खाना बनता भी है तो इसके लिए बच्चे जब स्वयं गांव से कण्डे लेकर आते हैं।तब खाना बनाया जाता है जिसके बाद बच्चे को उनका भोजन मिल पाता है।

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विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने बताया है कि विद्यालय में गैस के दो सिलेंडर थे गैस के एक सिलेंडर को 3 साल से पूर्व प्रधान दिनेश चंद यादव निवासी डालूपुर अपने घर पर ले गए वहीं दूसरा सिलेंडर एक व्यक्ति ले गया कई बार इसकी शिकायत वर्तमान प्रधान तथा बीएसए मैनपुरी को भी दे चुके हैं लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

वहीं विद्यालय की रसोईया ने बताया है कि आज दिन तक कभी भी उन्हें गैस पर खाना बनाने का अवसर नहीं मिला है खाना बनाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।इस पूरे मामले में जब स्कूल के बच्चों से पूछा गया तो उन्होंने बताया है पढ़ाई के समय हमें गांव में कंडे व लकड़ी लेने जाना पड़ता है। जिससे हमारी पढ़ाई में बाधा आती है आए दिन हमारे कपड़े भी गंदे हो जाते हैं।

साकिब अनवर

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