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उप्रः महोबा पुलिस ने की असंवेदनशीलता की हद पार,DIG के निर्देश पर भी पीड़िता को नहीं मिला न्याय

उप्रः महोबा पुलिस ने की असंवेदनशीलता की हद पार,DIG के निर्देश पर भी पीड़िता को नहीं मिला न्याय

उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद में नाबालिग युवती से छेड़खानी को एक महीने होने वाले हैं। लेकिन अभी तक पुलिस के कानों पर जूं नहीं रेंगी हैं। इस मामले को लेकर पीड़िता एसपी महोबा के पास दो बार जा चुकी है। लेकिन अब तक रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की गई है। हैरान करने वाली बात ये है कि जब पुलिस के रिपोर्ट नहीं लिखने पर पीड़िता दुबारा एसपी साहब के पास गई तो एसपी साहब ने पुलिस को कार्रवाही करने के निर्देश दिए, तो कोतवाली पुलिस ने आरोपियों को आनन-फानन में  गिरफ्तार कर लिया।

 

उप्रः महोबा पुलिस ने की असंवेदनशीलता की हद पार,DIG के निर्देश पर भी पीड़िता को नहीं मिला न्याय
उप्रः महोबा पुलिस ने की असंवेदनशीलता की हद पार,DIG के निर्देश पर भी पीड़िता को नहीं मिला न्याय

 

इतना ही नहीं पीड़िता को कोतवाली में बुलाकर राजीनामा करने की पुलिस के द्वारा बात कही गई, जब पीड़िता ने मना किया तो पुलिस ने जेल भेजने का अश्वासन दिया।पुलिस की करतूत पर पीड़िता को शक तक नहीं हो पाया। आरोपियों को तीन दिनों तक कोतवाली में बिठाने के बाद पुलिस ने  बिना रिपोर्ट लिखे छोड़ दिया।

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पीड़िता के मुताबिक यह सब तब पता चला जब कोतवाली से छूटने के बाद आरोपियों ने खुद ही पुलिस की करतूत के बारे कई लोगों से बताया।आरोप है कि कोतवाली से छूटे तो आरोपियों ने पीड़िता को धमकाते हुए कहा कि पुलिस को 20 हजार दिए है।कहीं भी जाओ कोई तुम्हारी सुनने वाला नहीं है।इसके बाद पीड़िता ने डीआईजी चित्रकूट से न्याय की गुहार
लगाई,लेकिन वहां भी न्याय के नाम पर अगर कुछ मिला तो अश्वासन।पीड़िता ने 28 नवंबर को डीआजी के यहां प्रार्थना पत्र दिया था जिसमें पीड़िता ने आरोपियों की गिरफ्तारी और जानम-माल की रक्षा की मांग की थी। लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाही नहीं हुई है।

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क्या है पूरा ममला ..?

बता दें कि बीते 12 नवंबर को महोबा कोतवाली के पचपहरा गांव के अंतर्गत तीन शोहदों ने एक नाबालिग लड़की के साथ खुलेआम छेड़छाड़ और मारपीट की,युवती के शोर करने पर मां और अन्य को आते देख जान से मारने की धमकी देते हुए तीनों शोहदे वहां से भाग गए।घटना के बाद पीड़िता की मां न्याय के लिए थानों के चक्कर काट रही है, लेकिन अब
तक मामले में प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की गई है।

पीड़िता को न्याय के बजाय अपमान मिला

ऐसे में अब पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया प्रश्न भी खड़ा हो गया है। 19 नवंबर को अमर उजाला में छपी खबर के मुताबिक पीड़िता न्याय के लिए दो बार पुलिस अधीक्षक कुंवर अनुपम सिंह के पास भी गई, साहब ने उसे न्याय का आश्वासन भी दिया, लेकिन उनका वादा तो वादा ही रह गया और एक बार फिर कानून के रखवालों की आंखों पर बंधी ने साबित कर दिया कि कानून अंधा हो या न हो, लेकिन कानून के रखवाले जरुर अंधे हो गए हैं।आरोप है कि पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कराने गई पीड़िता को न्याय देने के बजाय उसकी मां को अपशब्द कहते हुए सुलह करने की बात कही थी

आरोपियों की दबंगई पर पुलिस की लाचारी

बता दें कि पूरा मामला महोबा जिला कोतवाली क्षेत्र के पचपहरा गांव का है। जहां बीते 12 नवंबर,को रामदयाल यादव, गंगा यादव,और देवीदीन यादव ने एक युवती को दुकान जाते वक्त युवती से छेड़खानी की और जब युवती ने विरोध किया तो शोहदों ने लड़की के साथ मारपीट भी की, इतना ही शोहदों ने युवती को धमकाया कि अगर वह पुलिस के पास
जाएगी तो वो उसे काटकर फेंक देंगे।

डीआईजी के निर्देश पर भी नहीं हुई कार्रवाही

जब जिले में जिला पुलिस ने नहीं सुनी तो डीआईजी चित्रकूट ने मामले पर पुलिस को जल्द कार्रवाई के लिए निर्देश दिए।लेकिन डीजीआई साहब के आदेश को भी एक हफ्ता बीत चुका है, लेकिन महोबा पुलिस अभी भी सो रही है। महोबा पुलिस के इस रवैये से साफ है कि वह आरोपियों से मिली हुई है और उसे बचाने की कोशिश कर रही है। पुलिस की कार्यशैली से मालूम पड़ता है कि प्रदेश में गरीबों को न्याय मिलना मुश्लिक है।निराश्रित है पीड़िता,दबंग आरोपियों को  पुलिस का संरक्षण मिल रहा है।

पीड़ित निराश्रित है कोई नहीं है सहारा

गौरतलब है, पीड़ित युवती की मां के अलावा परिवार में उसकी  छोटी बहनें हैं। पिता की तीन साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है। ऐसे में परिवार में उसकी मां के अलावा ऐसा कोई नहीं है, जो युवती को न्याय दिला सके। आरोप है कि पुलिस आरोपियों से सांट-गांठ के चलते उनको बचा रही है।आरोप है कि पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कराने गई
पीड़िता को न्याय देने के बजाय उसकी मां को अपशब्द कहते हुए सुलह करने की बात कही थी।

महेश कुमार यदुवंशी

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