पूरे देशभर में 1 अगस्त को बकरीद मनाई जाएगी। कोरोना के चलते बकरों की ऑन लाइन खरीदारी हो रही है तो वहीं गाइड लाइन्स के चलते मस्जिद में भीड़ न जुटाने के आदेश दिये गये हैं। जिसके बाद मुंबई में मुस्लिम कार्यकर्ताओं और मौलानाओं ने आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि महा विकास अगाड़ी सरकार से उनका मोह भंग हो गया है। सरकार बकरीद पर पशुओं को बलि और कुर्बानी देने को लेकर अड़चने लगा रही है। बुधवार को इस संबंध में मौलानाओं ने वर्चुअल मीटिंग करने के आंदोलन की चेतावनी जारी की।
उद्धव ठाकरे की सरकार को मौलानाओं ने आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने बकरीद पर कुर्बानी को बहुत कठिन बना दिया है। यहां तक कि ऑनलाइन बकरों की खरीद-फरोख्त को लेकर भी अड़चने लगाई जा रही हैं। उनके ट्रांसपोर्ट के दौरान वाहनों को रोका जा रहा है।ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल मौलाना मसूद दरयाबादी ने कहा, ‘हम लोगों को अपने मुस्लिम विधायकों और मंत्रियों पर विश्वास था। हमें उम्मीद थी कि वे सरकार से संशोधित गाइडलाइन जारी करवाने में कामयाब होंगे। उन लोगों ने बहुत कोशिश की, यहां तक कि एनसीपी मुखिया शरद पवार ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया लेकिन कुछ नहीं हुआ।’
अमन कमिटी के मुखिया फरीद शेख ने कहा कि देवनगर के बूचड़खाने में रोज भैसों को काटा जाता है लेकिन कुर्बानी के लिए वहां भैंस काटने की अनुमति नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह किस तरह का नियम है? पूर्व की देवेंद्र फडणवीस सरकार हर त्योहार पर मुस्लिम एनजीओ, मौलानाओं और विधायकों के साथ बैठक करते थे। इस तरह की कोई मीटिंग इस बार आयोजित नहीं की गई। हमने सोचा था कि यह सरकार सांप्रदायिक है।
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इस तरह उद्धव सरकार का मुम्बई में कई मुस्लिम संगठन विरोध कर रहे हैं। और कई आरोप लगा रहे हैं। जिसके बाद महाराष्ट्र का सियासी पारा चढ़ गया है।