एजेंसी, मदुरै। हिंदू चरमपंथी बयान को लेकर कमलहासन की मुशकिले बढ़ती जा रही हैं राजनीति में कदम रखने वाले कमल हासन की हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने सोमवार को उनके हिंदू चरमपंथी वाले बयान पर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि एक हत्यारे को धर्म, जाति या वर्ग से जोड़ना निश्चित तौर पर लोगों के बीच नफरत के बीज बोना है। जस्टिस आर पुगलेंधी की सिंगल बेंच ने हासन को उनके विवादित बयान के मामले में दायर केस में अग्रिम जमानत भी दे दी। अदालत ने यह भी कहा कि घृणा फैलाने वाले भाषण सामान्य हो गए थे, जिसका खामियाजा निर्दोष जनता को भुगतना पड़ा।
मक्कल नीधि मय्यम (MNM) के संस्थापक कमल हासन ने अरवाकुरिचि में पिछले रविवार को एक रैली को संबोधित किया था, इस दौरान कमल हासन ने कहा था कि आजाद भारत का पहला चरमपंथी एक हिंदू था, जिसका नाम नाथूराम गोडसे था और जिसने महात्मा गांधी की हत्या की थी। हासन के इसी बयान पर उनके खिलाफ अरवाकुरिचि में केस दर्ज कराया गया था।
एक चिंगारी एक लैंप जला सकती है तो जंगल को भी राख कर सकती है : हाई कोर्ट जज
इसी मामले में गिरफ्तारी की आशंका में हासन ने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। इस मामले को उठाने के लिए हासन को दोषी बताते हुए जज ने कहा कि एक चिंगारी एक लैंप को जला सकती है तो एक जंगल को भी राख कर सकती है। जज ने अपने आदेश में कहा कि चुनावी सभाओं में आम लोगों के विकास के मुद्दों, उनकी समस्याओं के समाधान के उपायों पर बात की जानी चाहिए, उनके बीच नफरत पैदा करने के लिए नहीं। जज ने इस बात पर खेद जताया कि याचिकाकर्ता अपने इस रुख पर कायम है कि उसने ऐतिहासिक तथ्य का हवाला दिया था। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई मामला ऐतिहासिक भी है, लेकिन उसका उचित संदर्भ में इस्तेमाल नहीं किया जाता है तो यह भी एक अपराध है।