मध्यप्रदेशः विदिशा की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.रूपाली की हार्दिक इच्छा थी कि उनका अपना निजी क्लीनिक हो। एमबीबीएस करने के बाद चार साल निजी अस्पताल में सेवाएं देने के बाद भी रूपाली को अपने काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना का पता चला। जिसके डॉ.रूपाली ने आंखों के अस्पताल के लिये आवश्यक उपकरणों, ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर और अन्य सामग्रियों के लिये मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से एक करोड़ रुपये का लोन लिया।
सीएम रावत ने ‘‘स्टार्टअप वैन’’ को हरी झण्डी दिखाकर किया रवाना
रूपाली अपनी क्लीनिक से होने वाली इनकम से एक लाख 30 हजार रुपये की किश्त विजया बैंक में जमा करवा रहीं हैं
डॉ.रूपाली कहती हैं मेरे गृह जिले विदिशा में नेत्र उपचार की वे सुविधाएं नहीं थीं।जो बड़े शहरों में होती हैं। मेरी हार्दिक इच्छा थी कि मैं विदिशा में ही मेट्रो शहरों में नेत्र रोग की मिलने वाली सुविधाएं उपलब्ध करवाऊं। मेरे इस सपने को सरकारी सहायता ने पूरा किया है।डॉ.रूपाली को अस्पताल से हर माह 6-7 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। रूपाली अपनी क्लीनिक से होने वाली इनकम से एक लाख 30 हजार रुपये की किश्त विजया बैंक में जमा करवा रहीं हैं। गौरतलब है कि रूपाली के क्लीनिक में अस्पताल में 15 अन्य लोगों को रोजगार मिला है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.रूपाली की हार्दिक इच्छा थी कि उनका अपना निजी क्लीनिक हो
आपको बता दें कि विदिशा की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.रूपाली की हार्दिक इच्छा थी कि उनका अपना निजी क्लीनिक हो। एमबीबीएस करने के बाद चार साल निजी अस्पताल में सेवाएं देने के बाद भी रूपाली को अपने काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना का पता चला। जिसके डॉ.रूपाली ने आंखों के अस्पताल के लिये आवश्यक उपकरणों, ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर और अन्य सामग्रियों के लिये मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना से एक करोड़ रुपये का लोन लिय़ा था।
अस्पताल से हर माह 6-7 लाख रुपये की आमदनी हो रही है
अब डॉ.रूपाली को अस्पताल से हर माह 6-7 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। रूपाली अपनी क्लीनिक से होने वाली इनकम से एक लाख 30 हजार रुपये की किश्त विजया बैंक में जमा करवा रहीं हैं। गौरतलब है कि रूपाली के क्लीनिक में अस्पताल में 15 अन्य लोगों को रोजगार मिला है।