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पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा मैडम तुसाद म्यूजियम, इन कारणों से अब होगा बंद

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नई दिल्ली। देश में कई जगह आकर्षण का केंद्र हैं। जिनके तरफ देश के ही नहीं बल्कि विदेश के लोग भी आ​कर्षित होते हैं। दिल्ली में भी लाल किला, कुतुब मीनार के साथ—साथ कई जगह आ​कर्षण का केंद्र हैं। इसके साथ ही दिल्ली में मैडम तुसाद म्यूजियम पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। कनॉट प्लेस स्थित मैडम तुसाद म्यूजियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बॉलीवुड स्टार सलमान खान, लियोनार्डो डी कैप्रियो तक की मोम से बनी मूर्तियों का पर्यटक दीदार करते रहे हैं। लेकिन ब्रिटेन की कंपनी मर्लिन एंटरटेनमेंट ने भारत में मैडम तुसाद म्यूजियम के ऑपरेशन को बंद करने का फैसला किया है। मर्लिन एंटरटेनमेंट्स इंडिया के महाप्रबंधक और निदेशक अंशुल जैन ने इसकी पुष्टि की। कंपनी के पीछे हटने की वजह आर्थिक तंगी को माना जा रहा है।

मैडम तुसाद का दिल्ली से जाना शहर के लिए बड़ा नुकसान-

बता दें कि ग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अंशुल जैन ने कहा कि मर्लिन एंटरटेनमेंट्स पुष्टि कर सकती है कि कनॉट प्लेस में मैडम तुसाद दिल्ली को बंद किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ बिल्डिंग के मालिक विक्रम बक्शी कहते हैं कि मैडम तुसाद का दिल्ली से जाना शहर के लिए बड़ा नुकसान है। इससे वैश्विक स्तर पर पर्यटक दिल्ली की तरफ आकर्षित होते थे। नगर निकाय के अफसरों ने म्यूजियम को स्थापित करने के लिए सभी सहूलियत मुहैया कराई थी। बक्शी ने कहा कंपनी ने इस म्यूजियम की वजह से भारत में अपना काफी धन निवेश किया था। लेकिन अब कंपनी के भारत से जाने के बाद यह सारा पैसा भी चला जाएगा। किराये के सवाल पर बख्शी ने कहा कि उन्होंने कोरोना लॉकडाउन के दौरान रेंट में छूट देने की बात कही थी लेकिन कंपनी अब अपना मन भारत से जाने का बना चुकी है। उन्होंने कहा कि कनॉट प्लेस स्थित स्टोर को कुछ दिनों पहले खाली कर दिया गया था और मूर्तियों को दुनिया भर के अन्य शहरों में मैडम तुसाद के आउटलेट में भेजा जाएगा।

पुतलों को इन सुविधाओं के साथ रखना होता था-

बताया जा रहा है कि बंदी के दौर में भी पुतलों के रखरखाव पर भारी खर्च आ रहा था। मोम के पुतले होने के कारण पूरे म्यूजियम को एक निश्चित तापमान पर रखा जा रहा था। इसके लिए एयर कंडीशनर के इंतजाम किए गए थे ताकि ये पुतले पिघलें नहीं। मोम के पुतलों के बाल, त्वचा और कपड़ों का ध्यान रखा जा रहा था। ये कई बार बीच-बीच में खराब हो जाते थे। इसकी वजह से रखरखाव में बड़ी टीम लगी हुई थी जिस पर काफी खर्च हो रहा था।

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