लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कथित फर्जी मुठभेड़ का मामला सामने आया है। इस मामले में अदालत ने पुलिस वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
दरअसल, 9 अगस्त, 2020 की देर रात आशियाना थाना क्षेत्र में सर्वोदय नगर निवासी पुलस्त तिवारी और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई। इसमें पुलस्त के दाहिने पैर पर गोली लगी और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, पुलस्त की मां मंजुला तिवारी ने इस कथित मुठभेड़ को गलत बताया है। इसके लिए उन्होंने अदालत में पुलिस वालों के खिलाफ वाद दायर किया और अब सीजेएम लखनऊ सुशील कुमार ने पुलिस को एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए।
पुलस्त को घर से ले गए थे पुलिस वाले
वादिनी की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने बताया कि, लखनऊ पुलिस के दावे के मुताबिक, उन्होंने 25 हजार के इनामी बदमाश पुलस्त तिवारी को आशियाना थाना क्षेत्र में देर रात हुई मुठभेड़ में गिरफ्तार किया। इस दौरान पुलस्त के दाहिने पैर में गोली लगी। मगर, इसके उलट पुलस्त के परिवार के मुताबिक, उस शाम करीब 6:30 बजे दो पुलिस वाले उनके घर आए और पुलस्त को अपने साथ ले गए थे। इसकी सीसीटीवी रिकॉर्डिंग भी है।
कोर्ट ने कहा- प्रथम दृष्टया ये संज्ञेय अपराध
छह मार्च, 2021 को पारित आदेश में अदालत ने कहा है कि, इस मामले में संबंधित थाने से आख्या मांगी गई, जिन्होंने बताया कि इस संबंध में कोई एफआइआर दर्ज नहीं है। अदालत ने कहा कि, प्रार्थनापत्र में अंकित तथ्यों एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों से विपक्षीगण द्वारा प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध किया जाना प्रतीत होता है। इसलिए मामले में पुलिस थाने में एफआइआर दर्ज कर पुलिस से विवेचना करवाया जाना उचित लगता है।
सात दिन में FIR की कॉपी जमा करने के आदेश
अदालत ने वादिनी मंजुला तिवारी के प्रार्थनापत्र को स्वीकार करते हुए थानाध्यक्ष आशियाना को मामले में एफआइआर दर्ज कर विवेचना किए जाने के आदेश दिए हैं। साथ ही अदालत ने थानाध्यक्ष आशियाना को धारा 157 सीआरपीसी के तहत सात दिन में एफआइआर की कॉपी भी अदालत में भेजने के आदेश दिए हैं। वहीं, अधिवक्ता डॉ. नूतन ने इसे न्याय की जीत बताते हुए मामले में शीघ्र कार्यवाही किए जाने की मांग की है।