लखनऊ: जहां एक तरफ स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर का कायाकल्प कराया जा रहा है वहीं दूसरी ओर राजधानी के कई इलाके ऐसे भी हैं जहां आज़ादी के 75 साल बाद भी पीने वाला पानी गंदा और बदबूदार आ रहा है। इससे साफ़ जाहिर है है कि लखनऊ नगर निगम राजधानीवासियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रख रहा है। गंदे और बादबूदार पानी की ये तस्वीर सप्लाई से आने वाले पानी की है।
पार्षदों का आरोप- समस्याओं का निस्तारण नहीं होता
भारतखबर.कॉम से ख़ास बातचीत में पार्षदों ने नगर निगम प्रशासन की हकीकत बयान की है। सरोजिनी नगर वार्ड से पार्षद रामनरेश रावत का कहना है कि पिछले 35 सालों से इस वार्ड की स्थिति बद से बदतर है। न तो जल निगम द्वारा कोई कार्य कराया गया है और न ही नगर निगम द्वारा किसी भी तरीके का काम हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया है कि केवल कागज़ी काम होते हैं। उन्होंने कहा, ‘पार्षद से जनता कई उम्मीदें रखती हैं, साफ़ गलियां, स्ट्रीट लाईट, साफ़ पानी, अच्छी सड़क, जैसी चीज़ों के लिए पार्षदों को चुना जाता है लेकिन जब पार्षद उनकी मांगों को नगर निगम के सदन में उठाता है तो केवल उसे नज़रंदाज़ किया जाता है।’
15 साल से गंदा और बदबूदार पानी आ रहा
वहीं महात्मा गांधी वार्ड से पार्षद अमित कुमार चौधरी का कहना है कि पिछले 15 सालों से क्षेत्रवासी गंदे और बदबूदार पानी से त्रस्त हैं। उन्होंने कहा, कई सालों से सीवर की समस्या भी लोग झूझ रहे हैं वो भी तब जब ये वार्ड विधानसभा, भाजपा मुख्यालय, लोक भवन के नज़दीक है। उन्होंने कहा, ‘टैक्स देने के बाद भी जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। जिम्मेदार अधिकारी पल्ला झाड़ लेते हैं, समस्याओं से जब उन्हें रूबरू कराया जाता है तो वे आज-कल करके टालते रहते हैं। आज हम क्षेत्रवासियों को साफ़ पानी देने में असमर्थ हैं लेकिन प्रशासन बेफिक्र है।’
आश्वासन दिया जाता है पर समस्याओं का निस्तारण नहीं होता है
पार्षदों ने नगर निगम के सदन पर भी सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा है कि सदन में केवल मुद्दों को सुना जाता है, उनपर बहस होती है लेकिन निस्तारण के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सदन एक औपचारिकता बन कर रह गया है, पार्षद खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। सदन मात्र हसीं का साधन रह गया है। पार्षदों ने कहा है कि नगर आयुक्त और महापौर सरकारी योजनाओं और मूल सुविधाओं से जनता को वंचित रख रहे हैं। सरकार की योजनायें जनता तक क्यों नहीं पहुंचाई जा रही हैं, इसका जवाब नगर निगम प्रसाशन को देना होगा।