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लखनऊ: फलों का राजा ‘आम’ जल्द देगा बाजार में दस्तक, अच्छी बौर देख खिले चेहरे

लखनऊ: फलों का राजा ‘आम’ जल्द देगा बाजार में दस्तक, अच्छी बौर देख खिले चेहरे

लखनऊ: मलिहाबाद के आम उत्पादकों के चेहरे खिल गए हैं। इस बार पेड़ पर अच्छी बौर देखकर किसान फूले नहीं समा रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि अप्रैल महीने के अंत तक फलों के राजा आम के पेड़ों पर अमिया लद जाएगी और कुछ ही दिन में मलिहाबाद की बागें आम की खुशबू से महक उठेगी।

बता दें कि जिस तरीके से दिसंबर के महीने में आम के बागों में बौर आई थी, उसको देखकर काकोरी और मलिहाबाद क्षेत्र के किसान परेशान हो गए थे। अच्छी बौर देखकर भी किसान इसे शुभ संकेत नहीं मान रहे थे।

इसकी वजह ये थी कि तापमान कम होने पर कहीं बौर खराब न हो जाए। लेकिन जैसे-जैसे तापमान बढ़ा और मौसम अनुकूल हुआ, बाग में बौर की हालत अच्छी होती चली गई। इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें काफी कम हो गई हैं। हालांकि अब किसानों के लिए कुछ नई परेशानियां सामने आ रही हैं जिस पर उनको तेजी से काम करना होगा। अब आम की फसल को रोगों से बचाने के लिए काम करना पड़ेगा।

आम व्यापारियों की मानें तो दिसंबर महीने में कई स्टेज पर बौर निकलती है। जो धीरे-धीरे फलने-फूलने लगती है और मार्च के बाद इसमें तेजी से विकास होने लगता है। उन्होंने कहा कि इस बार की बेहतरीन बौर देखकर बहुत खुशी हो रही है। किसानों ने कहा कि अगर सब कुछ उम्मीद के मुताबिक रहा तो अप्रैल के अंत तक पेड़ों में अमिया दिखाई देने लगेगी।

बौर को रोगों से बचाना जरूरी

बता दें कि बागवान, बेहतरीन फसल के लिए बौर पर दवा का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन अभी मार्च को बीतने में वक्त है। लिहाजा बौर पर रोगों के प्रकोप को देखते हुए अच्छी दवा की व्यवस्था जरूरी है। कई बार दवा के छिड़काव का भी कीड़ों पर असर नहीं पड़ता और बौर झड़ने लगती है।

बागों में दिखने लगे भुनगा और झुमका रोग

बागवान सदर अहमद खान ने बताया कि इस बार फलपट्टी क्षेत्र में समय पर अच्छी बौर आई है। लेकिन आम की फसल पर रोगों का खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ कीड़ों पर दवा का भी असर नहीं होता है। खान ने बताया कि भुनगा रोग रोग से बचाव के लिए दवा का छिड़काव कराया गया, लेकिन कीड़ों पर कोई असर नहीं हो रहा है। बाग में कहीं-कहीं छेदक कीट भी लग गए हैं।

‘इस बार होगी अच्छी फसल’

वहीं, बागवान नवनीत निगम के अनुसार आम के बागों में पर्याप्त मात्रा में बौर हैं। इस समय पेड़ पर आए बौर तेजी से फूल रहे हैं, जो मार्च महीने के अंतिम सप्ताह से लेकर अप्रैल के पहले हफ्ते तक फल में परिवर्तित होने लगेंगे। उन्होंने कहा कि अगर बागवानों ने फसल को रोगों से बचा लिया तो समझ लो कि उन्होंने बाजी मार ली।

‘सही समय पर बाजार में आएगा आम’

केंद्रीय बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन ने बताया कि सही समय पर बौर आने पर अप्रैल महीने के शुरुआत में ही आम की फसल आने की उम्मीद है। पहले बौर देखकर बागवान अंदाजा लगा रहे थे कि इस पर फसल 20-25 दिन लेट हो जाएगी, लेकिन अब उम्मीद है कि आम की फसल सही समय पर बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि पेड़ों पर भुनगा रोग लगने का खतरा है, इसके लिए किसानों को एमिडा क्लोर रसायन का पहला छिड़काव करना चाहिये। डॉ. राजन ने बताया कि झुमका रोग अप्रैल से मई माह में होता है। इसमें छोटा आम पनपने के बजाए बाग में ही गिर जाता है। ऐसे में बागवानों को अभी से ही सतर्क हो जाना चाहिये।

मलिहाबाद में पैदा होती हैं ये किस्में

लखनऊ का मलिहाबाद क्षेत्र दशहरी आम के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन क्या आम जानते हैं कि इस किस्म के अलावा भी आम की कई किस्में पैदा की जाती हैं। तो आइये आपको इससे रूबरू कराते हैं।

दशहरी: सबसे पहले बात करते हैं दशहरी आम की। ये मई-जून में पैदा होने वाला आम है। ये प्रजाति दुनिया की सबसे फेमस किस्मों में से एक है। दशहरी आम मध्यम आकार के होते हैं और इनका स्वाद निराला होता है। इसको खाते ही जैसे नशा आने लगता है। ये आम मीठा, दृढ़ और रेशेदार गूदे के साथ आता है। इसके साथ ही इसकी गुठली पतली और अच्छी क्वालिटी की होती है।

चौसा: चौसा आम भी मध्य ऋतु में पैदा होता है। इसकी किस्म बाजार में अगस्त महीने की शुरुआत में आ जाती है। इस आम का आकार बड़ा होता है और वजन करीब 350 ग्राम होता है। ये आम नरम होते हैं और मीठे गूदे के साथ चमकीले पीले रंग में आते हैं।

लंगड़ा: लंगड़ा भी उपरोक्त दोनों आमों की तरह मशहूर व्यवसायिक आम है। इसका गूदा ठोस, रेशेदार होता है और ये पीले रंग में बाजार में मिलता है। इसका स्वाद तारपीन के तेल की तरह होता है।

लखनुआ सफेदा: लखनुआ सफेदा आम भी नवाबों की नगरी लखनऊ में मशहूर है। जो लोग रसीला फल खाना पसंद करते हैं उनके लिए इस फल से अच्छा कोई फल नहीं है। इसका रंग हल्के हरे के साथ पीला होता है जो दशहरी की तरीके का प्रतीत होता है।

 

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