लखनऊ: राजधानी में कोविड की दूसरी लहर के दौरान सैकड़ों लोग अपनी जिंदगी से हाथ धो चुके हैं। इस भयावह महामारी के आगे सभी मानवीय संवदेनाएं भी नतमस्तक हो चुकी हैं।
शहर के श्मशान घाट पर मोक्ष के इंतजार में मृतकों के अस्थि कलश भी अपनों की राह तक रहे हैं। जबकि कोरोना काल में अस्थि कलश की बढ़ती संख्या को देख श्मशान भूमि में अस्थि कलश रखने पर रोक लगा दी गई है। बरसों पहले जो अस्थि कलश श्मशान घाट के लॉकर में रखी गई थीं, वो आज भी महफूज हैं। शायद उनके अपने अब उन्हें भूल चुके हैं।
कई सालों से 50 से ज्यादा अस्थि कलश सुरक्षित
गुलाला मुक्तिधाम के सुपरवाइजर बल्लू पांडेय ने बताया कि, कई सालों से श्मशान भूमि के लॉकर में 50 से ज्यादा अस्थि कलश सुरक्षित रखे थे। लेकिन कोरोना काल में इनकी संख्या दोगुनी हो चुकी है। यह कलश मोक्ष के लिए अपनों का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि, कुछ ही लोगों ने अपने पूर्वजों व नाते-रिश्तेदारों की अस्थियों के फूलों का विसर्जन कराया है, लेकिन कोविड के प्रकोप से तमाम लोगों ने अपनों की अस्थियां प्रवाहित नहीं की हैं। लिहाजा लॉकर में मृतकों की अस्थियां सुरक्षित रखी हैं। बल्लू पांडेय ने बताया कि, कई जिलों के संक्रमित मरीज राजधानी के अस्पतालों में भर्ती थे। उनकी मौत के बाद परिजनों ने उनकी अस्थियों को श्मसान घाट में सुरक्षित रखवा दिया है।
अस्थि कलश की होती है रखवाली
उन्होंने बताया कि, लॉकर में रखी गई अस्थियों की रखवाली भी की जाती है। पहले अस्थि कलश को लॉकर में सुरक्षित रखने के लिए रजिस्टर में पूरा ब्यौरा दर्ज होता है। इनमें मृतक का नाम और उनके परिजनों का पता भी दर्ज होता है, जिससे परिजन अपने पूर्वज, नाते-रिश्तेदार के अस्थि कलश को सुरक्षित रख सकें।
वहीं, श्मशान भूमि के सफाईकर्मी योगेश ने बताया कि शव को मुखाग्नि देने के बाद परिजन 15 से 20 मिनट बाद श्मशान घाट से चले जाते हैं। चिता जलने के बाद बचे हुए फूलों को रखने वाला कोई नहीं होता है। अगले दिन राख के साथ फूलों और कफन को गोमती के किनारे फेंक दिया जाता है। हालांकि, यह सिलसिला रोजाना चलता है।
अस्थि कलश रखने पर लगी रोक
कोरोना काल में अस्थि कलश की बढ़ती संख्या को देखते हुए गुलाला मुक्तिधाम में अब अस्थिकलश रखने पर रोक लगा दी है। श्मशान घाट के कर्मचारियों के मुताबिक, एक दिन में दर्जन भर चिताएं रोजाना जलती हैं। मृतक के घर वाले आए दिन अस्थि कलश को रखने के लिए आग्रह भी करते हैं। ऐसे में श्मशाम घाट के कर्मचारी दिवगंत आत्मा की शांति के लिए कलश को विसर्जन करने की सलाह दे रहे हैं।