लखनऊः राजधानी के हजरतगंज के बालू अड्डे मोहल्ले में डायरिया का कहर इस कदर बढ़ गया है, कि इसकी चपेट में दर्जनों बच्चे आ गए हैं। जानकारी के मुताबिक दूषित पानी पीने की वजह से करीब 100 बच्चे बीमार हो गए हैं, जबकि दो बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो गई है।
जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इलाके का निरीक्षण किया और स्थानीय लोगों को दवाईयां बांटी और साथ ही पानी को उबालकर पीने की सलाह दी। प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी करते हुए कहा कि उल्टी, दस्त, बुखार जैसी समस्या होने पर वे 0522-2622080 पर सूचित करें। स्वास्थ्य विभाग की टीम फौरन घर पर पहुंचेगी और इलाज के लिए जरुरी चीजे मुहैया करवायेगी।
100 से ज्यादा बच्चे बीमार
दरअसल, संजय गांधी नगर के बालू अड्डा इलाके में गंदा पानी पीने की वजह से करीब 100 से अधिक बच्चे डायरिया की चपेट में आ गए हैं। इसमें से करीब 20 बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिनका इलाज नजदीकी श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में चल रहा है। इस दौरान अभी तक दो मासूमों ने दम तोड़ दिया है। इलाके में संक्रमण फैसने से अफसरों की नींद टूट गई है।
पीने वाले पानी में आ गया सीवर का पानी
बताया जा रहा है कि इलाके में सीवर लाइन खुदने और बरसात का पानी भरने से संक्रमण काफी ज्यादा फैल रहा है। सीवर लाइन खुदने से पीने वाले पानी के पाइप में सीवर का पानी चला गया। जिसके बाद पानी की सप्लाई में गंदा पानी पीने की वजह से 40 लोग चपेट में आ गए। जिनमें से 20 मासूम बच्चों का इलाज सिविल अस्पताल में जारी है। वहीं, जिन दो बच्चों की मौत हुई है, उनमें एक 11 महीने का था तो दूसरा 16 साल का था।
नींद से जागे अधिकारी
मोहल्ले में पिछले 2 महीने से सीवर लाइन खुदी हुई है। काफी दिन से स्थानीय लोग प्रशासन से इस काम को पूरा करवाने के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन किसी न नहीं सुनी। दो बच्चों की मौत के बाद अधिकारियों की नींद खुली। मीडिया ने जब इस खबर को प्रमुखता से दिखाया तो फौरन अधिकारी इलाके का निरीक्षण करने पहुंचे और सीवर की सफाई करवाई।
अधिकारियों पर भड़के स्थानीय लोग
अधिकारियों ने मामले पर पर्दा डालते हुए कहा कि वहां पानी की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है, जिस पर स्थानीय लोगों ने गंदे पानी को दिखाते हुए कहा कि गंदे पानी की गुणवत्ता अच्छी कैसे हो सकती है। 2 मासूमों की मौत और दर्जनों लोगों के चपेट में आने के बाद लोगों के अंदर काफी आक्रोश है। उनका कहना है कि जब समस्या का समाधान किया जा सकता था, तब किसी ने उनकी नहीं सुनी और अब घर-घर दवाई बांट रहे हैं।