लखनऊ। बासपा प्रमुख मायावताी भी निकाय चुनाव में अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रही हो लेकिन सच तो ये है कि जिस जगह पर बैलट पेपर से वोट डाले गए वहां बसपा की हालत ज्यादा खराब है। नगर निगमों से ज्यादा नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में बसपा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है।
बता दें कि चुनाव परिणाम पर नजर डाली जाए तो नगर निगमों में जहां ईवीएम से चुनाव हुए थे वहां मेयर पद पर बसपा के 16 में से 11 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। यह 68.75 प्रतिशत है, जबकि नगर पालिका परिषद में बसपा के 70.43 फीसद उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई है। इसमें 186 प्रत्याशियों में 131 की जमानत जब्त हुई है। नगर पंचायतों के चेयरमैन में भी 75 फीसद उम्मीदवार जमानत नहीं बचा पाए। इसमें 357 पदों पर बसपा ने उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन 268 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
वहीं सपा की छोटे शहरों में स्थिति रही ठीक सपा की नगर निगम वाले महानगरों को छोड़ दिया जाए तो छोटे शहरों में स्थिति ठीक रही। नगर निगम में मेयर पद पर उसके भी 16 में से 10 उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए। यह कुल प्रत्याशियों का 62.5 प्रतिशत है। नगर पालिका परिषद में 43.68 फीसद उम्मीदवार जमानत नहीं बचा पाए। इसमें 190 में से 83 की जमानत जब्त हुई है, जबकि नगर पंचायतों में 54.47 प्रतिशत की जमानत जब्त हुई है। इसमें 380 में से 207 प्रत्याशी जमानत बचाने लायक वोट भी नहीं पा सके।