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बालू अड्डा प्रकरण: अभी भी समस्याओं का अंबार, लखनऊ नगर निगम के काम से संतुष्ट नहीं है क्षेत्रवासी

बालू अड्डा प्रकरण: अभी भी समस्याओं का अंबार, नगर निगम के काम से संतुष्ट नहीं है क्षेत्रवासी

लखनऊ: राजधानी स्थित बालू अड्डा क्षेत्र की समस्याएं लगागार बढ़ती जा रही हैं। यहां हाल ही में दूषित पानी पीने से दो बच्चों की मौत हो गई थी और कई लोग डायरिया से ग्रसित होकर अस्पताल में भर्ती हैं। इन सब के बावजूद अभी भी प्रशासन की नींद नहीं खुली है। दरअसल, दूषित पानी की समस्या से बालू अड्डा के निवासी अभी भी पार नहीं पा रहे हैं। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि नगर निगम और जलकल विभाग द्वारा जो पानी के टैंकर लगाए गए हैं उसमें भी पीने लायक पानी नहीं है।

पानी में ज्यादा है बलीचिंग की मात्रा: क्षेत्रवासी

बालू अड्डा मोहल्ले में रहने वाले लोगों ने आरोप लगाया है कि दो बच्चों की मौत के बाद भी नगर निगम और जलकल विभाग नहीं चेता है। क्षेत्रवासियों ने आरोप लगाया है कि जो नई पाइपलाइन बिछाई जा रही है उसका काम सही ढंग से नहीं किया जा रहा, लेबरों के भरोसे काम को छोड़ा गया है और अधिकारियों तब आते हैं जब उनके बड़े अधिकारी या फिर नेता निरीक्षण करने आते हैं। साथ ही लोगों का आरोप है तो पानी के टैंकर्स यहां लगाए गए हैं उनमें पीने वाला पानी नहीं है। उसमें बलीचिंग की मात्रा बहुत ज्यादा है और पीने से गला जल रहा है।

कैन खरीदकर पी रहे पानी: बालू अड्डा निवासी

निवासियों का कहना है कि चूंकि पानी के बिना जीवन नहीं जिया जा सकता इसलिए हम लोग पानी खरीदकर पी रहे हैं। हमारे पास इलाज कराने के पैसे नहीं है, अगर हमारे घर मे कोई बीमार होता है तो उसका इलाज करवाने में हम सक्षम नहीं है। इसलिये नगर निगम के टैंकर का पानी पीकर बीमार होने से अच्छा है कि हम पानी खरीदकर पिएं। हालांकि , पैसे इसमें भी लगते हैं लेकिन इलाज करवाने से कम पैसे इसमें लग रहे हैं।

अभी भी नहीं जागा है प्रशासन: बालू अड्डा निवासी

वहीं क्षेत्रवासियों का यह भी कहना नगर निगम द्वारा जो काम कराया जा रहा वो अधिकारियों की देखरेख में नहीं हो रहा। अधिकारी सिर्फ लीपापोती करने आते हैं। वहीं यह भी आरोप लगाया गया है कि ठेकेदारों से जब क्षेत्रवासी कुछ कहते हैं तो वे लड़ने लगते हैं।

अभी भी है समस्याओं का अंबार

बात दें कि पांच दिन बीत जाने के बाद और अधिकारियों एवं मंत्रियों के निरीक्षण करने के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। लोग पानी की समस्याओं से अभी भी झूझ रहे हैं और सिर्फ आश्वासन के बलबूते ही जी रहे हैं।

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