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अक्षय तृतीया पर ठाकुर बांकेबिहारी के चरणों के दर्शन क्यों किए जाते हैं?, जानिए क्या है इसके पीछे का इतिहास..

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इस साल अक्षय तृतीया का पावन पर्व 26 अप्रैल यानि की रविवार के दिन है। अक्षय तृतीया के पावन पर्व का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है व इसके पीछे कई सारी कहानियां भी प्रचलित है। हिन्दू मान्यताओं की मानें तो इस दिन कोई भी शुभ कार्य अगर किया जाता है तो उसका बहुत महत्व होता है। यही कारण है कि, अक्षय तृतीय के दिन सबसे ज्यादा शादियां व अन्य शुभ कार्य किए जाते हैं।
अक्षय तृतीय के दिन वृदावन में विराजमान श्री बांके बिहारी का दर्शन करना अक्षय तृतीया पर विशेष महत्व रखता है। आपको .जानकर हैराना होगी की पूरे साल में श्री बांके बिहारी के संपूर्ण रूप का दर्शन अक्षय तृतीया के दिन ही होते हैं।
अक्षय तृतीया पर साल में एक बार ही भगवान के चरणों के दुर्लभ दर्शन करने का मौका भक्तों को मिलता है। जबकि पूरे साल भक्त उनके पूरे शरीर के दर्शन तो भक्त पा लेते हैं लेकिन चरण के दर्शन नहीं होते। चरण फूल और वस्त्रों से ढका रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर प्रभु के चरणों के दर्शन हो जाएं तो वह बहुत फलदायी होता है।

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अक्षय तृतीया के दिन ही क्यों किए जाते हैं भगवान के चरणों के दर्शन?
भगवान के चरणों के दर्शन की परंपरा एक कथा से जुड़ी है। एक बार एक संत वृंदावन में अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी के दर्शन करने के बाद एक भजन गा रहा था। तभी वहां एक भक्त भी पहुंचा और उसे भजन बहुत पसंद आया और श्रद्धा भाव से वह भी गाने लगा। भजन गाते हुए वह जब अपने घर पहुंचा तो भजन के बोल पलट गए। वह भक्ति भाव में इतना सराबोर था कि उसे पता ही नहीं चला कि भजन के बोल पलट गए है।
श्री बिहारी बांके जी अपने इस भक्त के सच्चे मन को देखकर इतने प्रसन्न हुए कि उसे दर्शन् दे दिए। और भक्त को बयाता कि वह उनका सबसे प्रिय भक्त है।
भगवान ने जब उसे बताया कि उसकी भक्ति अन्य लोगों से अलग है और इसीलिए उन्होंने भक्त को दर्शन दिए हैं तो भक्त भगवान के चरणों में गिर गया। इसी के बाद से प्रभु के चरण के दर्शन की परंपरा शुरू हुई। इसीलिए पूरे साल बांके बिहारी जी के चरणों को फूलों से ढक कर रखा जाता है और अक्षय तृतीया के दिन ही प्रभू का सम्पूर्ण रूप सामने आता है।

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लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सकेगा। बांके बिहारी मंदिर के सेवक मोटू गोसांई जी ने जानकारी  देते हुए बताया कि,  महामारी कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में मंदिरों के कपाट बंद हैं। लेकिन भगवान की पूजा अर्चाना पहले की ही तरह मंदिर सेवकों के द्वारा की जा रही है। अक्षय तृतीया वाले दिन भी भगवान बांके बिहारी जी की पूजा अर्चना हर साल की तरह ही की जाएगी लेकिन इस बार जनता इस पवित्र अवसर पर मौजूद नहीं रह पाएगी।

हालांकि बांकेबिहारी मंदिर में गोस्वामी समाज ने चरण दर्शन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। गोस्वामी समाज ने चंदन घिसना शुरू कर दिया है। ऐसा इसलिए कि अक्षय तृतीया पर चंदन का लेप ठाकुरजी को किया जाता है।

मान्यता है कि चंदन का लेप केवल ठाकुरजी को गर्मी से बचाने के लिए होता है। इस दौरान सतुआ के लड्डू, खरबूज और तरबूज का भोग लगाया जाता है। साथ ही चंदन का गोला प्रदान किया जाता है। इस दिन बांकेबिहारीजी को धोती धारण कराया जाता है। लेकिन इस साल लॉकडाउन के चलते भक्तजन श्री बांके बिहारी जी के दर्शन नहीं कर पाएंगे लेकिन अक्षय तृतीया के दिन श्री बांकेबिहारी से जुड़ी इस मान्यता को पंडित जनों के द्वारा पूरा किया जा सकता है।

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