featured धर्म

कृष्ण भोगी नही, योगी थे।

krishna 1 कृष्ण भोगी नही, योगी थे।

भागवत नही, महाभारत से कृष्ण की महिमा अधिक मालूम पड़ती है।भगवान कृष्ण जी का सत्यस्वरूप जानने के लिए महा भारत ग्रंथ को पढ़ना चाहिए। महाभारत ग्रंथ के बिना कृष्ण के यथार्थ स्वरूप को समझना कठिन है।आइए जानते हैं कि श्रीकृष्ण जी के ब्रह्मचर्य के विषय में महाभारत क्या कहती है ।

swami 1 कृष्ण भोगी नही, योगी थे।

महाभारत का युद्ध होने से पहले जब अश्वत्थामा श्रीकृष्ण जी से सुदर्शन चक्र मांगने आता है तो श्री कृष्ण जी ने अश्वत्थामा से कहा कि ठीक है ले जाओ ये चक्र परंतु अश्वत्थामा से वो चक्र ले जाना या उठाना तो दूर रहा,वो चक्र हिला तक नही और फिर श्री कृष्ण जी सौप्तिक पर्व के 12 वें अध्याय में उससे कहते हैं कि, अश्वत्थामा को कृष्ण कहते है- मैंने संदीपनी ऋषि के आश्रम में 48 वर्ष तक शिक्षा ग्रहण की थी और उसके बाद जब रुक्मणी से विवाह किया। विवाह के बाद भी बारह वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पालन किया क्योंकि रुक्मणी को मेरे समान बलशाली पुत्र चाहिए था । ऐसा मत सोचिए कि कृष्ण द्वारका नगरी बनाकर भोग विलास में लग गये। वे भारत भूमि अत्याचारी शासकों से मुक्त करने के लिए प्रयास रत थे।

श्री कृष्ण जी कहते हैं कि

ब्रह्मचर्यं महद् घोरं तीर्त्त्वा द्वादशवार्षिकम् ।
हिमवत्पार्श्वमास्थाय यो मया तपसार्जितः ।।31।।
समानव्रतचारिण्यां रुक्मिण्यां योsन्वजायत ।
सनत्कुमारस्तेजस्वी प्रद्युम्नो नाम में सुतः ।।32।।

अर्थ:- मैंने 12 वर्ष तक रुक्मिणी के साथ हिमालय में ठहरकर महान् घोर ब्रह्मचर्य का पालन करके सनत्कुमार के समान तेजस्वी प्रद्युम्न नाम के पुत्र को प्राप्त किया था ।।

विवाह के पश्चात् भी 12 वर्ष तक घोर ब्रह्मचर्य को धारण करना उनके संयम का महान् उदाहरण है। कृष्ण भोगी नही, योगी थे। श्री कृष्ण जी के तमाम भक्तों से अनुरोध है कि ऐसे महान योगी,ब्रह्मचारी पुरुष की तरह हम भी जीवन जिये,वही श्री कृष्ण जी की असली पूजा है।।

योगेश्वर श्री कृष्ण महाराज की जय।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएं।

स्वामी प्रणवानंद सरस्वती

Related posts

यूपी मिशन 2022: सीएम योगी ने दिया किसानों को बड़ा तोहफा, बिजली दरों में 50 फीसदी की होगी छूट

Neetu Rajbhar

पीएम मोदी के लिए देश का हर नागरिक है ‘VIP’

Nitin Gupta

चरमपंथी संगठनों की सूची में दाऊद की डी कंपनी

bharatkhabar