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लंबी उंगली वाले आदमियों को ही क्यों नहीं होता कोरोना?

finger 1 लंबी उंगली वाले आदमियों को ही क्यों नहीं होता कोरोना?

कोरोना देश ही नहीं दुनिया के लिए मुसीबत बन चुका है। इस बीच लाख कोशिशों के बाद भी कोरोना की कोई दवाई तो नहीं मिल पा रही है। लेकिन कोरोना को लेकर रोज नये-नये दावे जरूर किए जा रहे हैं। ऐसा ही ए क दावा रिसर्च में किया गया है। जिसमें कहा गया है कि, जिन आदमियों की उंगली लंबी होता हैं उन्हें कोरोना नहीं होता है।

finger 2 लंबी उंगली वाले आदमियों को ही क्यों नहीं होता कोरोना?
चलिए आपको बताते हैं और क्या-क्या कहती है रिसर्च?
ब्रिटेन की स्वानसी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस स्टडी में 41 देशों के 2 लाख से ज्यादा मरीजों का डेटा लिया और उसकी जांच की।इसमें भारत से भी 2274 पुरुषों की केस स्टडी ली गई। इसमें पाया गया कि जिन पुरुषों की रिंग फिंगर छोटी होती है, उनमें कोरोना से मौत का खतरा 30% तक बढ़ जाता है।

वहीं जिनकी रिंग फिंगर मिडिल फिंगर से खास छोटी नहीं है, उन्हें कोरोना होगा भी तो माइल्ड लक्षणों वाला होगा और मौत का डर काफी कम रहता है।बता दें कि ये वही यूनिवर्सिटी है जो इससे पहले भी पब्लिक हेल्थ को लेकर कई अहम रिसर्च कर चुकी है।आज से 100 साल पहले बनी इस यूनिवर्सिटी की कोरोना पर ये रिसर्च वाकई में चौंकाने वाली है।

स्टडी में शामिल मुख्य रिसर्चर प्रोफेसर जॉन मैनिंग के मुताबिक रिंग फिंगर का संबंध टेस्टोस्टेरॉन से होता है, जो असल में एक मेल हार्मोन है. ये हार्मोन मां के गर्भ में पुरुषों में तैयार होता है।जिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का प्रतिशत ज्यादा होता है, उनमें वायरस के संक्रमण का डर उतना ही कम रहता है। माना जा रहा है कि इस हार्मोन से शरीर में ACE-2 रिसेप्टर्स की संख्या तय होती है।

अगर टेस्टोस्टेरॉन कम है तो ACE-2की संख्या कम होगी। वैज्ञानिक मानते हैं कि इन्हीं रिसेप्टर के जरिए वायरस शरीर में घुसता है। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि रिसेप्टर्स की संख्या ज्यादा होने पर कोरोना हमले के बाद भी फेफड़ों को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचता है और मरीज में माइल्ड लक्षण ही रहते हैं।

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इन्हीं कारणों को देखते हुए ये रिसर्च की गई है। जो कि बेहद चौंकाने वाली है। लेकिन आप कोरोना काल में किसी भी तरह की लापरवाही न दिखाएं। क्योंकि ये सिर्फ रिसर्च है कोई पक्का दावा नहीं है।

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