लखनऊ। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था लोकभारती ने एक अनोखी पहल शुरू की है। लोकभारती शाहजहाँपुर की भैंसी नदी के किनारे 159 ग्राम पंचायतों में पीपल,बरगद व पाकड़ के पौधों का रोपण करायेगी। चयनित गांवों में लोकभारती के कार्यकर्ता 19 अगस्त को प्रत्येक गांव में तीन-तीन पौधे लगायेंगे।
लोकभारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि लोकभारती तालाबों और नदियों के पुनर्जीवन, जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करती है। लोकभारती आषाढ़ की पूर्णिमा से श्रावण की पूर्णिमा तक प्रत्येक वर्ष हरियाली पर्व मनाती है। इसी के तहत पुवायां बंडा में हरिशंकरी (पीपल,बरगद,पाकड़) के वृक्षों का रोपण किया जायेगा। प्रत्येक गांव में पौधों की देखभाल के लिए पर्यावरण भागीरथ मण्डल का भी गठन किया जायेगा।
किसे कहते हैं हरिशंकरी
पीपल, बरगद व पाकड़ के सम्मिलित रोपण को हरिशंकरी कहते हैं। हरिशंकरी का पौधा पर्यावरण की दृष्टि से बड़े महत्व का होता है। इसमें एक ही थाले में तीनों पेड़ों को एक समय में ही लगाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसमें त्रिदेवों यानि ब्रह्मा,विष्णु और महेश का निवास माना जाता है।
हरिशंकरी के वृक्षों की उपयोगिता
हरिशंकरी के तीनों वृक्षों को एक ही स्थान पर इस प्रकार रोपित किया जाता है कि तीनों वृक्षों का संयुक्त छत्र विकसित हो व तीनों वृक्षों के तने विकसित होने पर एक तने के रूप में दिखाई दें। वैज्ञानिक भी इसे पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व का वृक्ष मानते हैं। इसके पके फल मीठे और पौष्टिक होते हैं।
हरिशंकरी में तमाम पशु- पक्षियों व जीव- जन्तुओं को आश्रय व खाने को फल मिलता है। हरिशंकरी कभी भी पूर्ण पत्तीरहित नहीं होती है, वर्षभर इसके नीचे छाया बने रहने से पशु पक्षियों व साधकों को छाया मिलती है। पर्यावरण संरक्षण व जैव विविधता संरक्षण की दृष्टि में पीपल, बरगद व पाकड़ सर्वश्रेष्ठ प्रजातियां मानी जाती हैं।