नई दिल्ली। आने वाली 1 फरवरी को देश का केन्द्रीय बजट पेश होना है। ऐसे में सरकार सभी राजनीतिक दलों का साथ और सदन में सहयोग चाहती है। क्योंकि कई मसलों पर इस बजट सत्र के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच होने वाले टकराव के चलते बजट सत्र को सुचारू तौर पर नही चलाया जा सकेगा। ऐसे में सरकार की ओर से ये कोशिश है कि सभी दलों को साझा कर के इस बार बजट सत्र का आगाज किया जाए। जिसके लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संसद के बजट सत्र की पूर्व संध्या पर रविवार को सदन में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की एक बैठक आहुत की है।
सरकार को इस बजट सत्र से कई उम्मीदे हैं। तीन तलाक और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा जैसे महत्वपूर्ण विधयकों को सरकार इस सत्र में पारित कराना चाहती है। लेकिन सरकार को उम्मीद है कि विपक्ष ने मुद्दों पर सरकार के साथ खड़ा नहीं होगा। लोकसभा में तो इन्हें पारित करा लिया था। लेकिन राज्यसभा में सरकार अल्पमत में है ऐसे में विपक्ष की एकजुटता के चलते सरकार को योजना खटाई में पड़ गई थी। ऐसे में बजट सत्र के पूर्व बैठक कर प्रधानमंत्री स्वयं इन मुद्दों पर सरकार का पक्ष विपक्ष के समक्ष रखेंगे। इसके साथ ही उम्मीद की जा रही है कि विपक्ष भी ऐसे ही मुद्दों पर अपना नजरिया सामने रखेगा। जिससे सरकार को भी सहजता होगी और सदन चलाने में आसानी होगी।
बजट सत्र के पहले चरण में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सदन में रखी जाएगी। जिसके बाद 1 फरवरी को सदन में बजट प्रस्ताव पेश किया जाएगा। सत्र लोकसभा औऱ राज्यसभा के सदस्यों की संयुक्त बैठक के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद शुरू होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले ये सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। इस बजट में पूरी तरह से राजनीतिक झलक दिखाने का सरकार प्रयास करेगी। ऐसे में सरकार विपक्ष को साथ लेकर चलना भी चाहेगी।