नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार की नीतियां लोगों की भलाई सुनिश्चित करने पर केन्द्रित है, चुनाव जीतने पर नहीं। उन्होंने कहा कि जनता किसी नेता लोगों की भलाई करने का जनादेश देती है, अगला चुनाव जीतने की तैयारी के लिए नहीं। पीएम मोदी ने एक निजी टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि देश में लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए ताकि भारी धनराशि और मानव संसाधन का अनावश्यक व्यय न हो। उन्होंने कहा कि एक मतदाता सूची और एक चुनाव देश में सुशासन कायम करने और तेज गति से आर्थिक विकास का ज़रिया बन सकता है।

उन्होंने कहा कि एक नियत समय पर, एक नियत समयसीमा के अंदर लोकतांत्रिक प्रणाली के विभिन्न स्तरों के चुनाव पूरे करा लिए जाने चाहिए। आंकड़े देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अलग-अलग समय पर लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव पर भारी धनराशि खर्च होती है। बड़ी संख्या में नोकरशाही और सुरक्षा बलों के जवान चुनाव संचालन के काम में लगे रहते हैं। इस स्थिति में बदलाव की ज़रूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने का काम वह या उनका दल भारतीय जनता पार्टी अपने दम पर नहीं कर सकते। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों और समाज के विभिन्न वर्गों को आम सहमति बनानी होगी। मोदी ने अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में कहा कि उसकी दिशा स्पष्ट है और वह तनमन धन से आम आदमी जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रयत्नशील हैं | ‘‘मैं तो चाहता हूं कि देश उनसे अधिक से अधिक से काम ले, मुझे पूरी तरह निचौड़ लें ।
देश में रोजगार की कमी के विपक्षी दलों के आरोप के संबंध में मोदी ने कहा कि एक प्रमाणिक स्वतंत्र निकाय कर्मचारी भविष्य निधि के अनुसार एक साल के अंदर 70 लाख लोगों का रोजगार पंजीकरण हुआ है । पंजीकरण में नाम, पता और नियोक्ता आदि का प्रमाणिक ब्यौरा है। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना के तहत अबतक 10 करोड़ लोगों को ऋण दिया गया है, जिसमें से 3 करोड़ नए उद्यमी है। यह दो आंकड़े इस ओर इंगित करती है कि सरकार की नीतियों के कारण बड़ी संख्या में रोजगार सृजन हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में आकर्षण का केन्द्र है और दुनियाभर के लोग भारत की विकास यात्रा से जुड़ना चाहते हैं। तेज आर्थिक प्रगति और देश की लोकतांत्रिक प्रणाली दुनिया के लोगों को भारत की ओर खींचती है जिसका हमें भरपूर लाभ उठाना चाहिए।
पीएम मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं और निजी मित्रता के ज़रीए कूटनीति चलाने के बारे में कहा कि उन्होंने अपनी कमजोरियों को अवसर में तबदील करने का प्रयास किया । उनके बारे में आम धारणा था कि एक राज्य में लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहा व्यक्ति विदेश नीति का संचालन कैसे करेगा। स्वयं उन्हें भी इस संबंध में लेकर कुछ आशंका थी। उन्होंने बिना किसी पूर्वाग्रह के सभी देशों और उनके नेताओं के साथ खुलेपन के साथ संबंध बनाने की पहल की जिसके अच्छे नतीजे सामने आए। दुनिया के बड़े शक्तिशाली और आर्थिक दृष्टि से संपन्न देश के नेता से मिलते समय भी वह आत्मविश्वास और संकल्प से सराबोर रहते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का भान है कि वह 125 करोड़ लोगों के महान देश के प्रतिनिधि हैं।