दुनिया में मौत का तांडव कर रही महामारी कोरोना के खत्म होने की तो कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही। लेकिन कोरोना से बचने के लिए लगा लॉकडाउन जरूर लोगों की आने वाले समय में जान ले लेगा।
और हालत इतने बत्तर होंगे की लोग कोरोना से नहीं बल्कि भूखमरी से सड़कों पर उतर आएंगे।
ये बात सुनने में बेहद खौंफनाक के साथ दर्दनाक लग रही है। लेकिन ये हकीकत है। जो एक रिपोर्ट के खुलासे से सामने आयी है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने कोरोनावायरस की वजह से लगे लॉकडाउन से घरेलू आमदनी पर आधारित स्टडी की गई है। इसमें कहा गया है कि भारत के 84 फीसदी से ज्यादा घरों की मासिक आमदनी में गिरावट दर्ज की गई है। देश में कामकाजी आबादी का 25% हिस्सा इस समय बेरोजगार हो चुका है।
34 फीसदी घरों की स्थिति खराब हो चुकी है। उनके पास एक हफ्ते के लिए जीवन जीने के जरूरी संसाधन बचे हैं। एक हफ्ते के बाद उनके पास कुछ भी नहीं बचा होगा।’ उन्होंने ये भी कहा कि समाज में कम आय वर्ग के लोगों को तुरंत मदद किए जाने की जरूरत है।
इसके लिए ऐसे वर्ग के लोगों को जल्द नकदी ट्रांसफर करने की जरूरत है। यदि सरकार जल्द मदद नहीं की तब कुपोषण और गरीबी की वजह से होने वाली अन्य समस्याओं में भी तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है।
सीएमआईई की स्टडी के मुताबिक देश में बेरोजगारी के आंकड़े भी तेजी से बढ़े हैं। 21 मार्च को भारत में बेरोजगारी की दर 7.4 फीसदी थी, जो 5 मई को बढ़कर 25.5 फीसदी हो गई है।
स्टडी के मुताबिक देश में 20 से 30 साल आयु वर्ग के 2 करोड़ 70 लाख युवाओं को अप्रैल में नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
बेरोजगारी बढ़ने के चलते देश के ज्यादातर घरों की आमदनी में कमी आई है। अगर भारत के शहरी और ग्रामीण इलाकों की बात करें तो शहरी इलाकों में 65 फीसदी परिवारों के पास 1 हफ्ते से अधिक के लिए जीने के संसाधन बचे हैं, जबकि ग्रामीण घरों में 54 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके पास 1 हफ्ते से अधिक के लिए जीने के संसाधन बचे हैं।
दिल्ली, पंजाब और कर्नाटक जैसे राज्यों में लॉकडाउन का असर कम हुआ है, जबकि बिहार, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों में लोन की वजह से लोगों की आमदनी पर काफी असर पड़ा है।
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वाकई में ये आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। अगर कोरोना के चलते देश में ऐसे ही लॉकडाउन लगा रहा तो भूखमरी जैसे हालत हो जाएंगे।