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तमिलनाडु की प्यारी ‘अम्मा’: अभिनेत्री से चहेती मुख्यमंत्री तक का सफर

Jai तमिलनाडु की प्यारी ‘अम्मा’: अभिनेत्री से चहेती मुख्यमंत्री तक का सफर

नई दिल्ली। तमिलनाडु के लोगों की सबसे प्यारी मुख्यमंत्री जयललिता की हालत लगातार गंभीर बनी हुई है, अपोलो अस्पताल में उन्हें लगातार वेंटिलेटर पर रखा गया है, अस्पताल के बाहर लोगों का भारी हुजूम अपने प्यारी अम्मा के ठीक होने की खबर को सुनने के लिए लगातार बैठी हुई है। हाथ इस उम्मीद में जुड़े हुए है कि शायद दुआओं से उनको नई जिंदगी मिल सके। हालांकि डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी बनाए हुए है। हालात की गंभीरता को देखते हुए एम्स से भी डॉक्टरों की टीम को बुलाया गया है।
अम्मा का जीवन कई सारे उठाव गिराव वाला रहा है। आइए आपको बताते हैं कैसा रहा है उनका जीवन, एक नजर-

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शुरुआती जिंदगी- तमिलनाडु की सबसे चहेती मुख्यमंत्री का जन्म 24 जनवरी 1948 को मैसूर के तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया और पारिवारिक स्थिति नाजुक हो गई। महज 13 वर्ष की आयु में उन्होंने बाल कलाकार के तौर पर फिल्मों में काम करना शुरु कर दिया, जीवन की शुरुआत उन्होंने कन्नड़ फिल्मों से की पर बाद मंे उन्होंने तमिल के जरिए लोगों तक अपनी पहचान बनाई। तमिल भाषा में उन्होंने कई बड़े फिल्मों में अभिनय किया। 17 वर्ष की आयु में उन्होंने 1965 में अपनी पहली तमिल फिल्म ‘वेन्निरा अदाई’ की। बाद में तमिल फिल्मों के सुपरस्टार एमजीआर और जयललिता की जोड़ी को लोगों ने पर्दे पर खूब सराहा और दोनों ने मिलकर कुल 28 फिल्मों में लीड अभिनय किया। हालांकि वर्ष 1970 में  उन्होंने कुछ सालों के लिए फिल्मों से अपना संबंध तोड़ लिया लेकिन फिर एकबार 1973 में फिल्म ‘पट्टीकट्टू पोनैया’ मंे उन्होंने एकबार फिर से वापसी की। करीब 20 साल के फिल्मी करियर में उन्होंने करीब 300 फिल्मों में अभिनय किया।

राजनीतिक सफर- फिल्मों में उनका साथ देने वाले एमजीआर का साथ उन्हे राजनीति के क्षेत्र में भी मिला, एमजीआर 1977 में एआईएडीएमके की तरफ से राज्य के सीएम बने। उन्ही के निर्देशन में जयललिता ने भी 1982 में राजनीति में कदम रखा और एआईएडीएमके की सदस्य बनीं, अगले ही साल पार्टी ने उन्हें प्रचार विभाग का सचिव बना दिया। राजनीति में भी जयललिता का जलवा चला और 1984 में उन्हें एमजीआर ने राज्यसभा का सदस्य बना दिया। वर्ष 1987 में एमजीआर के निधन के बाद पार्टी में दो तोड़ हो गए, कुछ लोग जयललिता के समर्थन में तोे कुछ लोगों ने एमजीआर की पत्नी का पार्टी में समर्थन करना प्रारंभ कर दिया, जिसका परिणाम यह रहा कि पार्टी ने एमजीआर की पत्नी को समर्थन दिया और 1988 में वह राज्य की मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन राजीव गांधी की सरकार ने उनकी सरकार को महज 21 दिनों मे बर्खाश्त कर दिया। बाद में पार्टी मं कलह बढ़ी और ऐसे में पार्टी की डूबती नैया की खेवनहार के तौर पर जयललिता का ही चेहरा लोगों के सामने आया।

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राज्य के इतिहास में 1989 में हुई घटना को हमेशा याद किया जाता रहेगा। बताया जाता है कि तमिलनाडु विधानसभा में डीएमके और एआईडीएमक विधायकों के बीच हाथापाई और जयललिता के साथ बदसुलूकी की गई थी और वहीं जयललिता ने कसम खाई थी कि अब वो विधानसभा में तभी लौटेंगी जब वो मुख्यमंत्री बन कर आएंगी। अपने वादे को पूरा करते हुए दो साल के भीतर ही उन्होंने एआईएडीएमके का कांग्रेस से गठबंधन किया और राज्य की पहली बार सीएम बनीं। इसके बाद उठाव गिराव का दौर जारी रहा, भ्रष्टाचार के मामले में उन्हे जेल भी जाना पड़ा।

भ्रष्टाचार उनपर इतना भारी पड़ कि एक समय में उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत तक नहीं मिली, इसके बावजूद भी पार्टी ने जीत हासिल करने के बाद उन्हें सीएम बनाया, बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुर्सी छोड़ दी। इसके बाद 2003 में वो मामले से बरी हुईं और दोबारा चुनाव लड़ने के बाद सीएम बनीं। 2011 में सीएम बनने के बाद उनपर 2014 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में चार साल की सजा और 100 करोड़ का जुर्माना लगा, उन्हें करब 1 माह तक जेल में रहना पड़ा और बाद में वो मामले से बरी हुईं और फिर से राज्य की सीएम बनीं। जयललिता के इधर बीमार होने के बाद से लगातार ओ पनीरसेल्वम कार्यवाहक सीएम की भूमिका निभा रहे हैं।

abhilash -अभिलाष श्रीवास्तव

 

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