राजेश विद्यार्थी की रिपोर्ट
चुनौतियों से भरपुर है एलजी का कार्याकाल
चुनाव और सुरक्षा है सबसे बड़ी चुनौती
भारत खबर
जम्मू कश्मीर।
जम्मू कश्मीर के नए उपराज्यपाल स्वतंत्रता दिवस पर पहली बार कश्मीर के बख्शी स्टेडियम में झंडा चढ़ाएंगे। कार्यक्रम के दौरान एलजी के अभिभाषण होगा और इसमें राज्य के विकास और शांति लाने का दावा किया जाएगा। राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से भरपूर राज्य में सक्रिय कुछ अंदरूणी ताकतों से एलजी को हल ढूंढना होगा। जम्मू और कश्मीर के बीच क्षेत्रवाद और प्रशासनिक सेवा में मौजूद अधिकारियों की विशेष लाॅबी को कंट्रोल करना भी एलजी के लिए आसान नहीं होगा। आतंकवाद और सीमा पार से घुसपैठ के बीच एलजी राज्य का चैतरफा विकास कैसे कर पाएंगे। इस पर राजनीतिक गलियारों व बुद्धजीवियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। राजनीतिक पृष्ठ भूमि से आए एलजी मनोज सिन्हा आर्थिक तौर पर पिछड़े राज्य के विकास और उद्योगों को दोबारा पटरी पर लाना, बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए 15 अगस्त को क्या बयान देते हैं। इस पर सबकी नजरें गढ़ी हुई हैं। प्रशासनिक स्तर पर कई बार पूर्व उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू भी असफल रहे हैं और क्लीक नहीं कर पाए। सरपंचों और पंचों की सुरक्षा को लेकर भी एलजी बड़ा बयान सकते हैं।
एलजी के समक्ष प्रमुख चुनौतियां
जमात ए इस्लामी का ब्यूरोक्रेसी और कानून व्यवस्था मशीनरी पर प्रभाव
अलगाववादी और विघटनकारी सोच के कश्मीर के नेता
जमीन जेहादियों से 21 लाख कनाल सरकारी जमीन को कब्जे में लेना
पक्षपात और नजर अंदाज हो रहे जम्मू के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना
हर स्तर पर फैले भ्रष्टाचार को रोकना
प्रशासन का भारतीयकरण करना
कश्मीर में कश्मीरी विस्थापितों को उनकी मंशा के अनुसार बसाना
जेकेपीसीसी, जम्मू कश्मीर बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों में सुधार
जम्मू और कश्मीर में अलग से सचिवालय, निदेशालय, अलग से बजट प्रावधान व भर्ती आयोग का गठन
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आतंकियों और अलगाववादियों के लिए तुष्टिकरण का कश्मीर में प्रभाव
निहीत स्वार्थ के लिए सचिवालय में मौजूद अधिकारी व कर्मचारी