Brij Nandan
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का मानना था कि किसान उठेगा तो गांव उठेगा और गांव उठेगा तो देश उठेगा। कल्याण सिंह के अनुसार किसान स्वभाव से शांति प्रिय होता है। किसान शोषक नहीं होता। उसकी बुनियादी इकाई परिवार है।
ज्यादातर किसान पारिवारिक खेती करते हैं। यदि वह शोषण करता है तो अपने और अपने परिवार का। कल्याण सिंह कहते थ कि सामान्य तौर पर किसान लाभ के लिए खेती नहीं करता। किसान का अस्तित्व ग्रामीण व्यवस्था से जुड़ा होता है। यदि गांव नहीं होगा तो किसान भी नहीं होगा। कृषि विकास से औद्योगिक विकास जुड़ा हुआ है। देहात और शहर का रिश्ता गांव गरीब किसान सदैव उनकी प्राथमिकता में रहता था। किसान उठेगा तो गांव उठेगा गांव उठेगा तो देश उठेगा।
उन्होंने अपने एक लेख में लिखा था कि देश का लोकतंत्र किसान से जीवित है। उन्होंने कहा था कि समता और लोकतंत्र को केन्द्र में रखकर समाज के नवनिर्माण के सूत्र तलाशने की जरूरत है। कृषि इस देश की अर्थव्यवस्था की धुरी बन सकती है और स्वावलम्बी राष्ट्र के निर्माण का मुख्य आधार भी। उनका मानना था कि भारत का लोकतंत्र किसान ही जीवित रख सकता है।