लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 जिलों में लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर बनाने की मंजूरी दी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत सेंटर बनाए जाएंगे। इस मामले में राजधानी लखनऊ में एक मीटिंग भी हुई जिसमें इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई।
मेरठ के हस्तिनापुर से होगी शुरुआत
वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके रखरखाव को सही तरीके से संचालित करने के लिए इस तरह के सेंटर की जरूरत होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के अलग-अलग 5 जिलों में इसकी नींव रखी जाएगी। इस कार्यक्रम की शुरुआत मेरठ के हस्तिनापुर से होगी, जहां 5 करोड रुपए की लागत से पहला सेंटर बनेगा।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में मिलेगा धन
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए धनराशि वित्तीय वर्ष 2021-22 में मिल सकती है। मेरठ के बाद पायलट प्रोजेक्ट के तहत अन्य जिलों महाराजगंज, इटावा, पीलीभीत, और चित्रकूट ऐसे सेंटर बनाए जाएंगे। इसके निर्माण के लिए पूरा डीपीआर भी तैयार किया जा रहा है।
गोरखपुर में भी इसकी रणनीति तैयार
गोरखपुर के निर्माणाधीन चिड़ियाघर में पहले ही वन्यजीव क्वॉरेंटाइन सेंटर और रेस्क्यू सेंटर का निर्माण हो रहा है। ऐसे में अब अगला लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर महाराजगंज के सोहगीबरवा में बनाने का निर्णय लिया गया है। इस सेंटर को बनाने के लिए वन्य जीव प्रभाग के अधिकारियों द्वारा 2.65 करोड़ रुपए का डीपीआर तैयार किया गया था।
वहीं अब इसे मेरठ की तर्ज पर बनाने की तैयारी है। जिसके बाद बजट प्लान को भी संशोधित किया जाएगा। इस रेस्क्यू सेंटर को 5 हेक्टेयर की वन्य भूमि में 25 डे-नाईट सेल के रूप में बनाया जाएगा।
सेंटर की जरूरत क्यों
ऐसे सेंटर बनाने से वन्यजीवों की सुरक्षा और बेहतर हो जाती है। आसपास मिलने वाले जानवरों को रेस्क्यू किया जाता है, इसके बाद उनका इलाज करके चिड़ियाघर भेज दिया जाता है। जिन स्थानों पर तेंदुआ पाए जाने की संभावना अधिक होती है, उसी आधार पर रेस्क्यू सेंटर का चयन किया जाता है।