गुवाहाटी : पूर्वोत्तर में पहली भाजपा सरकार के अगुवा बने सर्वानंद सोनोवाल ने 15 वर्षों से असम में जारी तरूण गोगोई नीत कांग्रेस सरकार को बेदखल कर भगवा पार्टी का परचम फहरा कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसे को कायम रखा जिन्होंने खेल एवं युवा मामलों के मंत्री एवं असम के लखीमपुर से सांसद सोनोवाल के युवा कंधों पर भाजपा के लिये पूर्वोत्तर के द्वार खोलने की जिम्मेदारी सौंपी थी। असम के डिब्रूगढ़ जिले में जन्में 54 वर्षीय सोनोवाल वर्तमान में छात्र राजनीति से आगे बढ़ते हुए केंद्र की सरकार में खेल और युवा मामलों के मंत्री बने।सोनोवाल की छवी बेहद साफ सुथरी रही है और उनकी गिनती प्रधानमंत्री के चहेतों में होती है। सर्वानंद सोनोवाल असम के कछारी जनजातीय समुदाय से आते हैं। लोग उन्हे जातीय नायक के नाम से भी जानते हैं। सर्वानंद सोनोवाल अब असम के मुख्यमंत्री बनने वाले हैं।
शुरूआती शिक्षा डिब्रूगढ़ से करने के बाद गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से एलएलबी और बीसे जी की डिग्री हांसिल की सोनोवाल वर्ष 1992 से 1999 तक ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के अध्यक्ष रहे। असम की राजनीति में इस छात्र संगठन का खासा प्रभाव देखने को मिलता है और संगठन ने छह वर्ष तक असम आंदोलन की अगुवाई की।
2001 में सर्वानंद ने असम गण परिषद को ज्वॉइन किया और उसी साल वह विधायक बने। साल 2004 में डिब्रूगढ़ के पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन सिंह को हराकर सोनोवाल ने पहली बार लोक सभा में कदम रखा। 2011 असम गढ़ परिषद में हुई असमानताओं के चलते इन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। असम में भाजपा की राजनीति के केंद्र में आने तक उनकी पहचान राज्य के युवा, जुझारू और तेज तर्रार नेता के रूप में बन चुकी थी। आठ फरवरी, 2011 को तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी और वरूण गांधी, विजय गोयल, विजॉय चक्रवर्ती और रंजीत दत्ता की मौजूदगी में वह पार्टी में शामिल हुए।
उन्हें तत्काल भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया और बाद में राज्य भाजपा का प्रवक्ता नियुक्त किया गया। हालांकि 2012 में उन्हें राज्य भाजपा का अध्यक्ष भी बनाया गया और वह अभी इस पद पर बने हुए हैं। इस वर्ष 28 जनवरी को पार्टी ने उन्हें असम में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। सोनोवाल सबसे पहले वर्ष 2001 में सूबे के मोरन विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये थे लेकिन वर्ष 2004 में हुए 14वीं लोकसभा चुनाव में वह डिब्रूगढ़ से सांसद चुने गये।