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पाटलिपुत्र से लालू की बेटी मीसा को फिर मिला हार, रामकृपाल ने किला किया फतह

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एजेंसी, पटना। बिहार के पाटलिपुत्र सीट पर लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती को अपने चाचा रामकृपाल यादव से एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है. मीसा भारती की ये लगातार दूसरी हार है. इसके पहले 2014 के चुनाव में भी रामकृपाल यादव ने उन्हें शिकस्त दी थी. इस बार रामकृपाल यादव को 509557 वोट हासिल हुए जबकि मीसा भारती को 470236 वोट मिले.
-बीजेपी उम्मीदवार रामकृपाल यादव आरजेडी के यादव वोटबैंक में सेंध लगाने में एक बार फिर कामयाब रहे. 16 लाख वोटर्स वाले इस सीट पर 5 लाख यादव और साढ़े 4 लाख भूमिहार जाति के लोग हैं. आरजेडी से छिटके यादवों के साथ भूमिहार और दूसरी सवर्ण जातियों रामकृपाल यादव के पक्ष में मतदान किया. जेडीयू के पिछड़े और अतिपिछड़े वोट बैंक ने भी रामकृपाल यादव के पक्ष में काम किया.
-पीएम मोदी के चेहरे और सरकार के विकास के कार्यों के इर्द-गिर्द चुनाव लड़ रहे रामकृपाल यादव के सकारात्मक इलेक्शन कैंपेन का असर हुआ. इस इलाके में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी रैलियां की थीं. इससे रामकृपाल यादव के पक्ष में माहौल बना.
-मीसा भारती ने इलेक्शन कैंपेन में लगातार अपने चाचा (रामकृपाल यादव) की लालू यादव के साथ की धोखेबाजी की बात करके वोट मांगे. 2014 में उन्होंने इसी आधार पर वोट मांगे थे. पुरानी बातों ने जनता पर असर नहीं किया. मीसा भारती का नेगेटिव कैंपेन बेअसर रहा.
-यादव बहुल पाटलिपुत्र लोकसभा सीट ने लगातार आरजेडी से बाहर के किसी यादव उम्मीदवार को चुना है. 2009 में इसी सीट से जेडीयू के टिकट पर रंजन यादव ने लालू प्रसाद यादव को शिकस्त दी थी. 2014 से मीसा भारती इस सीट से हार रही हैं.
-2014 के चुनाव में बीजेपी और जेडीयू अलग होकर लड़े थे. उस चुनाव में जेडीयू के टिकट पर चुनाव में उतरे रंजन यादव तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार बीजेपी और जेडीयू का एकसाथ होकर आना रामकृपाल के पक्ष में गया. राजनीतिक समीकरण ने रामकृपाल यादव के पक्ष में काम किया.-रामकृपाल यादव साफ-सुथरी छवि वाले नेता हैं. अपने संसदीय क्षेत्र में वो सहज उपलब्ध होते हैं. सांसद रहते हुए वो सभी वर्ग के लोगों के बीच जाते रहे हैं. उनकी राजनीतिक व्यवहारकुशलता का लाभ मिला.
-पीएम के तौर पर मोदी की लोकप्रियता और नीतीश कुमार की अतिपिछड़ों और महिलाओं के बीच पैठ ने रामकृपाल यादव के लिए काम किया. रामकृपाल की व्यक्तिगत लोकप्रियता की वजह का भी फायदा मिला.
-लालू यादव के जेल में रहने की वजह से आरजेडी के इलेक्शन कैंपेन अग्रेसिव नहीं रह पाए. तेजस्वी औऱ तेजप्रताप के बीच मतभेदों ने वोटर्स के कंफ्यूजन को बढ़ाया. आपसी गुटबाजी ने आरजेडी का खेल खराब किया.

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