Lathmar Holi 2022 || राधा रानी की नगरी बरसाने में लड्डू होली के बाद आज लठमार होली खेली जाएगी। इसके अगले दिन नंद गांव में यही परंपरा निभाई जाएगी देश-विदेश के लाखों लोग इस होली का आनंद लेने बरसाना और नंद गांव आते हैं। बृज में होली का खुमार इतना अधिक होता है कि यहां आने के बाद भगवान कृष्ण और राधा की भक्ति में रम जाते हैं। लठमार होली में मुख्यता नंदगांव के पुरुष और बरसाना की महिलाएं भागने की क्योंकि श्री कृष्ण नंदगांव के थे और राधारानी बरसाना की। साथ ही यहां के रघु को खास तैयार किया जाता है मिलावट ना हो इसके लिए टेसू के फूलों से रंग तैयार किए जाते हैं। साथ ही होली के इस उत्सव में रसिया गायन का आयोजन किया जाता है। तो आइए जानते हैं बरसाना की राधारानी और नंदगांव के छोरे श्री कृष्ण की लठमार होली के बारे में…..
बेहद खास बृज की होली
वैसे तो बृज में होली महोत्सव का आरंभ होली से करीब डेढ़ महीने पहले ही शुरू हो जाता है लेकिन बृज एक ऐसा धर्म स्थल है जहां अनेकों परंपराएं होली के तौर पर मनाई जाती है इसीलिए विश्व भर में बृज की होली बेहद खास है वही हिंदू मान्यताओं के अनुसार फागुन मास शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को बरसाना में लठमार होली खेली जाती है अगले दिन नंद गांव में फागुन मास की दशमी तिथि को लठमार होली खेली जाती है।
बरसाने की हुरियारिन नंदगांव के हुरियारों पर बरसाएंगी लाठिया
इसी परंपरा में 11 मार्च शुक्रवार की सांय को नंदगांव के हुरियारे बरसाने की हुरियारिनों से होली खेलने आएंगे। बरसाने की हुरियारिन नंदगांव के हुरियारों पर खूब लाठिया बरसाएंगी। इन लाठियों को कई दिन पूर्व से तैयार कर लिया गया है। दूसरे दिन 12 मार्च शनिवार को अपनी हुरियारिनों का बदला लेने के लिए बरसाने के हुरियारे नंदगांव होली खेलने जाएंगे। बरसाने में लठामार होली से पहले गुरूवार को श्रीजी महल में लड्डूमार होली खेली गई। होली से पूर्व रसिया गायन और नृत्य की थिरकन पर श्रद्धालु भावविभोर दिखायी दिये।
कैसे शुरू हुई लठमार होली की परंपरा
लठमार होली खेल की परंपरा भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी किस समय से चली आ रही है दरअसल भगवान श्री कृष्ण को होली का उत्सव बेहद पसंद था और वह इस त्यौहार में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। होली के मौके पर भगवान श्री कृष्ण नंद गांव से बरसाना की राधा रानी से मिलने आया करते थे। और ग्वाल बाल सखियों के साथ होली खेला करते थे।
बरसाना पहुंचकर ग्वाले राधारानी और उनकी सखियों के साथ होली खेला करते थे और कृष्ण, राधा रानी और उनकी सखियों के साथ ठिठोली करते थे। लेकिन राधा रानी और उनकी सखियां कहां किसी से कम थी। तब राधा रानी और उनकी सखियों भी कान्हा और ग्वालों के पीछे भगती और उन्हें छड़ी से मारती। तभी से लठमार होली खेलने की परंपरा चली आ रही है।
आज भी इस परंपरा को बरसाना और नंदगांव में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि लठमार होली खेलने से भगवान कृष्ण और राधा रानी इस रंग में रंग जाते हैं।