हमारे सौर मंडल में मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच मौजूद है कुछ खास। धरती के करीब से गुजरने वाले ज्यादातर ऐस्टरॉइड यहीं से आते हैं। इन्हीं के बीच मौजूद है सौर मंडल का इकलौता बौना ग्रह- Ceres। यह सभी ऐस्टरॉइड्स से बड़ा है और इसका mass (द्रव्यमान) पूरी बेल्ट का एक-तिहाई है। 1801 में जब ग्युसिपी पियाजी ने इसे सबसे पहले देखा तो यह किसी सितारे की तरह रोशनी की एक डॉट भर थी। इसलिए Ceres और इसके साथ पाए जाने वाले बेल्ट के दूसरे ऑब्जेक्ट्स को नाम दिया गया ऐस्टरॉइड, जिसका ग्रीक भाषा में मतलब है- सितारे जैसा। हालांकि, इसकी विशालता के चलते इसे 2006 में बौना ग्रह माना गया।
साल 2015 में पहली बार किसी बौने ग्रह पर एक स्पेसक्राफ्ट भेजा गया। Ceres को करीब से देखने गए Dawn ने इसकी सतह पर 300 के करीब निशान देखे। पहले माना जाता था कि ये बर्फ है लेकिन Dawn की खोज से पता चला कि यहां हाइड्रेटेड मैग्नीशियम सल्फेट और सोडियम कार्बोनेट है जो जमीन की मौसमी झीलों के भाप में बदलने के बाद रह जाता है। इन चमकीले निशानों वाली जगह पर नमक की मौजूदगी से पता चला कि धरती और मंगल के अलावा यह अकेली ऐसी जगह है जहां कार्बोनेट मौजूद हैं। ये जीवन के लिए मुमकिन कंडीशन्स की ओर इशारा करते हैं।
जीवन की खोज में Ceres कितना अहम है, यह इस बात से समझा जा सकता है कि वैज्ञानिकों ने अब एक मेगासैटलाइट पर काम करने का विचार बनाया है जो Ceres के चक्कर काटेगी। यहां इंसानों को बसाया जाएगा। टीम के मुताबिक यहां नाइट्रोजन की मात्रा पर्याप्त है जिससे धरती जैसा वायुमंडल बनाया जा सकता है। धरती के वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन मौजूद है। Ceres धरती से 50 करोड़ किलोमीटर दूर है और यहां बेस होने से इंसान बृहस्पति और शनि तक पर जा सकेगा।