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लामा ने किया साफ, चीन को तिब्बत चाहिए तो हमारी संस्कृति को दे विशिष्ट पहचान

dalai nama लामा ने किया साफ, चीन को तिब्बत चाहिए तो हमारी संस्कृति को दे विशिष्ट पहचान

नई दिल्ली। निष्कासित तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा साल 1978 में स्थापित नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय में स्थापित गैर राजनीतिक संगठग और राष्ट्रीय सहयोग परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे। इस दौरान लामा ने चीन के सामने एक शर्त रखते हुए कहा कि अगर वे तिब्बत की संस्कृति को विशिष्ट पहचान और सम्मान देने की बात मान ले तो तिब्बत चीन के साथ जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने भारतीय परंपराओं और प्राचीन इतिहास के पुर्नजीवित करने पर जौर दिया। dalai nama लामा ने किया साफ, चीन को तिब्बत चाहिए तो हमारी संस्कृति को दे विशिष्ट पहचान

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तौर पर तिब्बत स्वतंत्र रहा है। चीन ने साल 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। बौद्ध धर्म गुरु ने कहा कि जब चीन हमारी संस्कृति और तिब्बत के विशेष इतिहास को महत्व देगा। तब तिब्बत उसका हो सकेगा। बता दें कि स्टेडियम में ये आयोजन तिब्बती धर्म गुरु के भारत आने के 60 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया था।

इसके अलावा लामा ने म्यांमार में रोहिंग्याओं पर हुए हिंसा पर भी चिंता जाहिर की और इसे दुखद व भयावह बताया। उन्होंने भारतीय परंपराओं के प्रसार को लेकर प्रयासों पर जोर देते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय परंपराओं को पुर्नजीवित करने की कोशिश करें।  तिब्‍बती बौद्ध के उपदेशों पर प्रकाश डालते हुए दलाई लामा ने कहा कि भारतीय सभ्यता की महानता इसका आध्यात्मिक भाईचारे और सद्भाव है। इससे महान दार्शनिक विचारकों और प्रचारकों के निर्माण में मदद मिली है जिन्होंने बौद्ध धर्म की नालंदा परंपरा को जन्म दिया।

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